
पिछले कार्यकाल में भी जब कार्यकाल बढ़ाने की बात आई थी, तब ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहे विजेंद्र सिंह सिसोदिया, खनिज निगम के उपाध्यक्ष रहे गोविंद मालू व अन्य ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कार्यकाल बढ़ावा लिया था। इस बार भी इसी तरह के प्रयास हो रहे हैं। क्राइटेरिया के बाद अध्यक्ष व उपाध्यक्षों के सामने मुश्किल है कि वे क्या करें? दो साल का कार्यकाल बढ़ता है, तो उससे पहले ही विधानसभा के चुनाव होंगे, ऐसे वे टिकट की दावेदारी नहीं कर पाएंगे।
पार्टी सूत्रों की मानें तो कई अध्यक्ष अपने संपर्कों से यह प्रयास कर रहे हैं कि कार्यकाल भी बढ़ जाए और दावेदारी पर भी असर न पड़े। पार्टी का प्रदेश हाईकमान पहले ही यह कह चुका है कि जो भी निगम-मंडलों में जाएंगे, उन्हें टिकट नहीं दिया जाए। बाद में पार्टी इस लाइन पर चल पड़ी कि जो जिताऊ होगा, उसे टिकट तो देंगे। इसी का अध्यक्ष लाभ ले सकते हैं।