
मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में साल 2016 में बारह साल बाद सिंहस्थ हुआ था। बीजेपी सरकार ने सिंहस्थ के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च किए थे। दो महीने तक दुनिया का सबसे बड़ा सिंहस्थ मेला दुधिया रोशनी से नहाता रहा। मेले को रोशन करने के लिए नगर निगम ने 22 करोड़ रूपये की 11000 से ज्यादा एलईडी लाईट खरीदीं। क्षेत्र की कांग्रेस पार्षद की शिकायत है कि 2000 से ज्यादा एलईडी लाईट को एक से ज्यादा जगह लगा होना दिखाया गया। 5000 की लाइट 22,500 रूपये में खरीदी गई 12 नंबर वार्ड में में कुल 765 लाईट लगाना बताया गया लेकिन मौके पर 165 ही लाईट लगी हैं। सवारी मार्ग पर चार किलोमीटर में 620 लाईट लगाने का दावा हुआ लेकिन रास्ते में खंबे सिर्फ 170 ही हैं। पता नहीं एलईडी कहां टांग दी। राम घाट पर 578 लाईट औऱ तारा शनि मार्ग पर 160 लाईट लगाना बताया गया जबकि खंबो की तादाद सिर्फ 61 है। शिकायत के मुताबिक 11330 एलईडी लाईट खरीदने में हेरफेर किया गया हैं जो नगर निगम ने ठेकेदार एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पॉवर लिमिटेड दिल्ली के साथ मिलकर किया है।
वार्ड नंबर 12, उज्जैन की पार्षद माया त्रिवेदी का कहना है कि 22 करोड़ की लागत से खरीदी गयी एलईडी की कुल संख्या 11330 थी। सदन में जब मैंने प्रश्न लगाया तब गिनती की। तब घोटाला पकड़ा गया। वार्ड में जाकर देखा और गिनती करवाई तो पूरे शहर का करीब 3 करोड़ 60 लाख से अधिक का घोटाला सामने आया है।
देर से जागी ईओडब्लू ने नगर निगम से एलईडी लाईट का ब्यौरा मांगा है। कितनी लाईट खरीदी गई, कितनी लगाई गईं, कहां लगाई गईं, नगर निगम से ये जानकारी मिलने का इंतज़ार है। नगर निगम कमिश्नर उज्जैन, विजय कुमार जे का कहना है कि, इसमें विधान सभा में प्रश्न उठा है। कमेटी बनायीं है। इसकी जांच चल रही है। हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे। वहीं संबंधित वार्ड की पार्षद का आरोप है कि सिंहस्थ के प्रभारी एमपी के मंत्री भूपेन्द्र सिंह, सांसद, विधायक औऱ मेला अधिकारी भी इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं।