
प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
ज्योतिषमठ संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. विनोद गौतम ने बताया कि ग्रहण के कारण प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी का सबसे करीबी ग्रह है एवं चांद पृथ्वी की प्रकृति से सीधा संबंध रखता है। समुद्र और पहाड़ों में भी इसकी चुंबकीय शक्ति भूचाल लाने की शक्ति रखती है। चंद्रमा की ग्रहण युक्त दूषित किरणें समुद्र में उफान लाती हैं जिससे ज्वार भाटा बनता है। इसके साथ ही फरवरी माह में कई बार चतुर्ग्रही योग बन रहे हैं। एक राशि में चार ग्रहों का इकट्ठा होना चतुग्रही योग कहलाता है, जो कुंभ राशि को प्रभावित करता है।
शाम 5:18 से रात 8:42 तक रहेगा चंद ग्रहण
खग्रास चंद्रग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। शाम को 5.18 बजे प्रारंभ होने वाला यह ग्रहण रात 8.42 पर समाप्त होगा, जबकि मध्य काल 7 बजे रहेगा। इस तरह ग्रहण की अवधि 3 घंटे 24 मिनट होगी। पूर्वी भारत, असम, नागालैंड, मिजोरम, सिक्कम तथा बंगाल के पूर्वी क्षेत्र में ग्रहण प्रारंभ होने के पहले ही चंद्रोदय हो जाएगा। इसलिए इन प्रदेशों में खग्रास रूप में चंद्रग्रहण पूरा दिखाई देगा।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव:
मेष-व्यथा, वृष-श्री, मिथुन-क्षति, कर्क-घात, सिंह-हानि, कन्या-लाभ, तुला-सुख, वृश्चिक-माननाश, धनु-मृत्यु तुल्य कष्ट, मकर-स्त्री पीड़ा, कुंभ-सौभाग्य, मीन-चिंता।
ग्रहण सूतक
स्पर्श काल से 3 पहर पूर्व अर्थात सुबह 8.18 मिनट से प्रारंभ होगा। बालक, वृद्ध एवं रोगी को पहर पूर्व अर्थात दोपहर 2.18 से मानना चाहिए। ग्रहण गज आरंभ एवं मोक्ष में स्नान तथा मध्य में हवन, जप, दानादि का महत्व है। मंदिरों में रात 9 बजे पूजा-पाठ और आरती होगी।