
करीब 2,373 मतदाताओं ने ईवीएम पर इनमें से कोई नहीं (नोटा) का बटन दबाया। जबकि भाजपा प्रत्याशी नागराजन को महज 1,417 वोट मिले। यह संख्या नोटा से काफी कम है। गौरतलब है कि नागरजन तमिल टीवी चैनलों पर नियमित रूप से नजर आते हैं। वह विभिन्न मुद्दों पर बीजेपी के विचार रखते हैं। इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में मयलापुर सीट पर भी उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
पार्टी के नेता इस बात पर ट्वीट कर जिम्मेदारी तय करने की नसीहत दे डाली। उन्होंने लिखा, 'राष्टीय सत्ताधारी पार्टी को नोटा के एक चौथाई वोट मिलते हैं। समय आ गया है कि इसकी जवाबदेही तय की जाए। स्वामी ने यह भी उम्मीद जताई कि 2019 के लोकसभा चुनाव तक एआईएडीएमके के दोनों धड़े एक हो जाएं। जयललिता के निधन के बाद से ही शशिकला-दिनकरन और ईपीएस-ओपीएस के बीच राजनीतिक उठापटक बनी हुई है।
आंकड़ों के मुताबिक दिनकरन को 89,013 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी AIADMK के उम्मीदवार मधुसूदनन को 48,306 मतों से ही संतोष करना पड़ा। तीसरे नंबर पर रहे DMK उम्मीदवार के खाते में 24,651 वोट आए, इनकी जमानत भी जब्त हो गई। NOTA के लिए 1926 लोगों ने वोट किया जबकि बीजेपी उम्मीदवार को मात्र 1417 वोट मिले।