
मध्यप्रदेश में अब चुनावी दंगल शुरू होने जा रहा है। जल्द ही घमासान नजर आने लगेगा। फिलहाल केवल भाजपा और शिवराज सिंह चौहान सरकार की चुनावी तैयारियों में जुटी नजर आती है। कांग्रेस के ज्यादातर नेता स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार कर रहे हैं। वो राहुल गांधी का इंतजार कर रहे हैं कि क्या इशारा आता है। यदि सीएम कैंडिडेट के लिए सिंधिया घोषित हुए तो कांग्रेस नेताओं का एक दल सक्रिय होगा, दूसरा अवकाश पर चला जाएगा। यदि हालत कमलनाथ के लिए भी है और यदि कोई घोषित नहीं हुआ तो जैसी एकजुटता पिछले चुनाव में थी। इस चुनाव में भी दिखाई देगी।
मध्यप्रदेश के हालात भी कुछ कुछ गुजरात जैसे ही है। यहां भी गुजरात जैसी गुटबाजी है। राहुल गांधी का गुजरात प्रयोग काफी अच्छा रहा। वो इससे उत्साहित हैं। गुजरात में भाषा की समस्या आई थी परंतु मध्यप्रदेश में वह भी नहीं है। गुजरात मोदी और शाह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था परंतु मध्यप्रदेश के साथ ऐसा भी नहीं है। भारत के 19 राज्यों में भाजपा की सरकार है जबकि कांग्रेस की मात्र 2 राज्यों में अत: मप्र राहुल गांधी के लिए अनिवार्य हो गया है।