
राजनांदगांव, कवर्धा और खैरागढ़ क्षेत्र में दबदबा रखने वाले देवव्रत लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। वे पार्टी के नेशनल स्पोक्सपर्सन के पैनल में भी रहे हैं। इस कारण अजीत जोगी के बाद वे दूसरे ऐसे बड़े नेता हैं, जिन्होंने नाराजगी के चलते पार्टी छोड़ी है। देवव्रत सिंह दिसंबर 2016 में पत्नी से तलाक को लेकर सुर्खियों में आए थे।
फेैमिली कोर्ट में चार साल चला था ये केस
दिसंबर 2016 में देवव्रत और उनकी पत्नी ने अापसी समझौते के तहत तलाक लिया। पत्नी से अलग होने के लिए देवव्रत को तकरीबन 11 करोड़ रुपए चुकाए थे। इस तलाक में चार करोड़ रुपए की लागत का दिल्ली वाला मकान उन्होंने अपनी पत्नी के नाम कर दिया और लगभग 6.5 करोड़ रुपए बैंक के जरिए दिए थे।
फैमिली कोर्ट ने बेटी सताक्षी को पिता देवव्रत और बेटे आर्यव्रत को मां के साथ रहने के आदेश दिए थे। बेटे की परवरिश के लिए देवव्रत हर महीने 50 हजार रुपए देने की बात भी कोर्ट ने कही थी। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के साउथ साकेत फेैमिली कोर्ट में ये केस चार साल चला था। 19 सितंबर 2016 को फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज पूनम ए बांबा ने दोनों के तलाक पर मुहर लगा दी। आपसी समझौते के तहत इतनी बड़ी रकम देकर तलाक लेने का संभवत: यह प्रदेश का पहला मामला था। इसके बाद देवव्रत सिंह ने अंतू राजघराना की विभा सिंह शादी की।
राजनीति में दखलंदाजी के बाद बिगड़ा माहौल
खुद देवव्रत ने 2007 चुनाव में खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से अपनी पत्नी पद्मा सिंह के लिए टिकट की मांग की थी। उन्हें टिकट तो मिली पर वे चुनाव नहीं जीत पाई। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक इसके बाद से दोनों के बीच खटास आ गई। फिर पार्टी में राजनीतिक दखलंदाजी को लेकर भी खीज बढ़ी। परिवार में तनाव बढ़ने लगा।