
शनिवार को छठवीं बटालियन में एसआई, हवलदार और आरक्षक कम्प्यूटर की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। शारीरिक परीक्षा के दौरान योगेश गुर्जर नाम के परीक्षार्थी की आईडी में गड़बड़ी मिलने पर उससे पूछताछ की गई तो वह घबरा गया और उसने अपना सही नाम, पता बता दिया। आरोपी ने बताया कि वह आगरा का रहने वाला है और उसका नाम मनीष पांडे है। मनीष ने योगेश के परीक्षा केन्द्र के बाहर ही मौजूद होने की जानकारी दी, तो उसे भी पकड़ लिया गया।
योगेश-मनीष के खुलासे से हड़कंप
एसएएफ के अफसरों ने योगेश और मनीष से लंबी पूछताछ की और रात करीब 10 बजे रांझी थाने में सूचना देकर दोनों के खिलाफ लिखित शिकायत देते हुए 420 का मामला दर्ज कराया। सूत्रों के अनुसार पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद योगेश ने बताया कि वह ग्वालियर का रहने वाला है। वह अपने एक परिचित के जरिए भोपाल 23वीं बटालियन में पदस्थ महेन्द्र नाम के एसआई के संपर्क में आया था। महेन्द्र ने उससे दो लाख रुपए लेकर मनीष की फर्जी आईडी बनाकर उसके साथ जबलपुर भेजा था। आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि महेन्द्र ने उनसे कहा था कि प्रदेशभर में उसके साथी हैं। जबलपुर 6वीं बटालियन में भी उसके कई मददगार हैं, जो परीक्षा के दौरान उसकी मदद करेंगे। लेकिन वे दोनों पकड़े गए।
फर्जीवाड़े से कई लोगों की नौकरी लगी
मनीष पांडे और योगेश ने अपने परिचित कुछ लोगों के नाम बताए जो वर्तमान में प्रदेश की अलग-अलग बटालियन में बतौर आरक्षक, प्रधान आरक्षक और एएसआई के पद पर तैनात हैं।
गृह मंत्रालय के निर्देश पर जांच शुरू
सूत्रों के अनुसार एसएएफ भोपाल के एसआई का नाम फर्जीवाड़े में आने के बाद रांझी पुलिस ने पीएचक्यू और गृह मंत्रालय तक सूचनाएं भेजीं हैं। चूंकि मामला पुलिस विभाग के अधिकारी का है, लेकिन सिर्फ आरोपियों के बयान से सीधे उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। लिहाजा गृह मंत्रालय के निर्देश पर एसटीएफ की एक विशेष टीम को इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस मामले में व्यापमं घोटाले की तरह चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।