मप्र की ब्यूरोक्रेसी: इधर सीएम नंबर 1 बता रहे थे, उधर महापौर ने कलंक कहा | bureaucracy

नौकरशाही bhopalsamachar.comभोपाल। मप्र की ब्यूरोक्रेसी प्रदेश के माथे पर तिलक है या कलंक, स्वास्थ्यवर्धक है या हानिकारक अब इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। दरअसल, IAS SERVICE MEET 2017 में सीएम शिवराज सिंह ने मप्र की ब्यूरोक्रेसी को देश की नंबर पर ब्यूरोक्रेसी बताया है। मजेदार प्रसंग तो यह रहा कि जब भोपाल में सीएम मप्र की ब्यूरोक्रेसी की तरीफ कर रहे थे, उसी समय सतना में भाजपा की महापौर ममता पांडे (MAYOR MAMTA PANDAY) उपचुनावों में हार के लिए ब्यूरोक्रेसी की बेलगामी को जिम्मेदार बता रहीं थीं। 

भोपाल में आईएएस एसोसिएशन द्वारा आयोजित सर्विस मीट का शुभारंभ करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में ब्यूरोक्रेसी ने खुली तारीफ की। उन्होंने स्वीकार किया कि भावांतर के भंवर में फंस गई सरकार को बचाने का काम ब्यूरोक्रेसी ने ही किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मप्र की ब्यूरोक्रेसी इसी तरह उनका साथ निभाती रहेगी। 

सतना में महापौर ममता पांडे ने आज फिर ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ तीखा बयान दिया है। उनका कहना है कि मप्र में ब्यूरोक्रेसी हावी है। जनप्रतिनिधि काम कर नहीं कर पा रहे हैं। जनता परेशान है। यदि अभी भी सुधार नहीं किया तो विधानसभा चुनाव के नतीजे खराब आ सकते हैं। उन्होंने  कहा कि अफसरशाही को सुधारे बिना वोट नहीं मिलने वाले।

कैलाश और बाबूलाल भी उठा चुके हैं ब्यूरोक्रेसी पर सवाल
बता दें कि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर एवं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मप्र की ब्यूरोक्रेसी को बेलगाम बता चुके हैं। इससे पहले 2017 में ऐसे कई अवसर आए जब बड़ी बिफलताओं की जिम्मेदार ब्यूरोक्रेसी को बताया गया। यहां तक कहा गया कि ब्यूरोक्रेसी पर सीएम शिवराज सिंह का नियंत्रण तक नहीं है। कुछ समय पहले सीएम शिवराज सिंह भी 'उल्टा टांगने' वाला बयान दे चुके हैं। 

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