
इसके अलावा रविवार को RSS से दलितों को जोड़ने के लिए संघ प्रमुख भागवत ने बोद्ध धर्म के भगवान बुद्ध और भीमराव अंबेदकर के विचारों से समझाया कि किस तरह हम दलित-पिछड़ों को जोड़ सकते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर ने कहा था कि बुद्ध के विचारों से बंधुत्व की भावना समाज में आती है और बंधुत्व से सामाजिक समानता और समरसता समाज में आएगी। इसी तरह हम समाज के दलितों और पिछड़ों को जोड़ सकते हैं। जो कुछ पहले हो चुका है, उसकी पुनरावृति नहीं होनी चाहिए और बंधुत्व के आधार पर सबको साथ लेना चाहिए। खासतौर से इसके लिए संघ प्रमुख के कार्यक्रम का मुख्य अतिथि दलित समाज के नेता रैगर महासभा के अध्यक्ष बीएल नवल को बनाया गया था।
मोहन भागवत जयपुर में संघ के स्वर गोविंदम कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए लोगों को संबोधित कर रहे थे। भागवत ने कहा कि जहां दूसरे देशों के संगीत शरीर में उत्तेजना पैदा करते हैं, वहीं भारतीय संगीत लोगों में अच्छा करने की प्रेरणा देता है। साथ ही लोगों से कहा कि हिंदू शब्द किसी जाति या समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि दुनिया में वसुधैव कुटुम्बकम के आधार पर जीवन जीने की दुनिया में इकलौती जीवन पद्धति है, जिसे दुनिया ने विशिष्ट नाम हिंदू दिया है। कार्यक्रम में इससे पहले घोष वादन और संगीत की प्रस्तुति हुई।