भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जिस दिन मप्र के मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की थी उस दिन उनके मुंह से निकला पहला शब्द था 'किसान'। तब से लेकर अब तक शिवराज सिंह किसानों की बात करते रहे और खेती को लाभ का धंधा बनाने के अपने वचन को दोहराते रहे। खेती लाभ का धंधा बनी या रेती ये तो सरकारी रिकॉर्ड में जब्त हुए डंपर ही बता पाएंगे परंतु चुपचाप अत्याचार सहन करने वाला किसान जरूर नाराज हो गया।
शिवराज सिंह की तीसरी पारी के दौरान चाहे वो मंदसौर गोलीकांड हो या टीकमगढ़ में किसानों को नंगा करके पीटने का मामला, नंदकुमार सिंह चौहान और भाजपा ने कुतर्कों के सहारे विरोधियों को चुप करा दिया। मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों को तस्कर तो टीकमगढ़ के किसानों को कांग्रेस गुंडे करार देकर अपनी पीठ थपथपा ली परंतु किसान के दिल में जो फांस चुभी थी वो अभी भी जस की तस है और किसानों के दिल के दर्द को बढ़ाती जा रही है।
सीएम शिवराज सिंह जानते हैं कि किसान जब रूठ जाता है तो वो सड़कों पर नहीं आता बल्कि चुप हो जाता है। हर बात का विनम्रतापूर्वक जवाब देता है और उसका गुस्सा वोटिंग मशीन पर दिखाई देता है। कांग्रेस से किसानों को ज्यादा कुछ उम्मीदें नहीं थीं परंतु शिवराज सिंह ने उम्मीदें बंधाईं। अब किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है और यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश का किसान सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्टर वायरल कर रहा है।