
क्यों देनी पड़ी सरकार को सफाई?
पिछले हफ्ते कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा था कि इस बात की पूरी संभावना है कि डिजिटल ट्रांजैक्शंस को बढ़ाने के लिए सरकार बैंकों में चेकबुक सुविधा को खत्म कर सकती है।
और क्या कहा सरकार ने?
मिनिस्ट्री ने कहा, "कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ाने के लिए सरकार डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस को प्रमोट कर रही है लेकिन, चेक पेमेंट्स का अटूट हिस्सा हैं। ये ट्रेडिंग और कॉमर्स की बैकबोन हैं। ये ट्रेडिंग ट्रांजैक्शंस को सुरक्षा भी मुहैया कराते हैं। बजट स्पीच में फाइनेंस मिनिस्टर ने भी कहा था कि हम डिजिटल ट्रांजैक्शंस और चेक पेमेंट्स में तेजी से आगे बढ़ेंगे।"
कितना बढ़ा है डिजिटल पेमेंट?
सरकारी आंकड़े के मुताबिक, नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट 42% तक बढ़ गए। पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट इंडस्ट्री की ग्रोथ 70% तक बढ़ गई। डिजिटल ट्रांजैक्शंस में सरकार का टारगेट क्या है? मोदी सरकार ने डिजिटल पेमेंट स्कीम्स के लिए 25 अरब डिजिटल ट्रांजैक्शन का टारगेट रखा है।
नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर मोदी ने भी कहा था, "जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) ने लोगों के लिए नए रास्ते खोले हैं। जैम की पावर से करप्शन घटा और सिस्टम में ट्रांसपरेंसी आई है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने सर्विस डिलिवरी और गवर्नेंस के काम को आगे बढ़ाया है।