अहमदाबाद। गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरातियों के लिए पराए से हो गए। भुज समेत तीन चार रैलियों में उतनी भीड़ दिखाई नहीं दी जितनी की आम तौर पर हुआ करती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ, राजकोट के जसदण, अमरेली के धारी और सूरत के कामरेज से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की। कहा जा रहा है कि इन रैलियों से ज्यादा उत्साह तो तब हुआ करता था जब नरेंद्र मोदी सीएम थे।
कांग्रेस ने इसे फ्लॉप शो करा दिया है। भाजपा भले ही विरोधियों के इस दावे को सही नहीं मानती हो लेकिन दबी जुबान से यह बात भी स्वीकार कर रही है कि आगे आने वाली रैलियों के लिए जमीनी स्तर पर और काम करने की जरूरत है। बता दें कि ऐसी खबर थी कि कम लोगों के आने के कारण मोदी की भुज रैली देरी से श्ाुरू हुई थी। पार्टी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री के रैली स्थलों के आसपास जनता से अपील कर रहे हैं कि ‘गुजरात के बेटे को देखने आओ’।
जसदण से हुई थी पाटीदार आरक्षण के आंदोलन की शुरूआत
जसदण सौराष्ट्र के दिल में है। यहां पर पटेलों का वर्चस्व है और हार्दिक पटेल के आंदोलन का केंद्र है। यहां के मतदाताओं का मानना है कि पटेल समुदाय को पिछले कई सालों से नजरअंदाज किया जा रहा है। यही कारण है कि जसदण अब कांग्रेस के हाथ में जाता दिखाई दे रहा है।
जसदण के कांग्रेस उम्मीदवार कुंडरजीभाई बावैलिया ने प्रधानमंत्री की रैली को फ्लॉप करार दिया। हालांकि बीजेपी उम्मीदवार डॉ. भारत बोगरा ने कहा कि मोदी ने 50 हजार लोगों को आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की अन्य दो रैलियों भुज और कमरेज में प्रत्येक में लगभग 40 हजार लोग आए थे।