अक्षत डांगोर/भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में इस तरह की बदजुबानियां पहले कभी नहीं देखी गईं। समर्थक अपने नेता की तारीफ करते थे। विरोधियों पर आरोप भी लगाए जाते थे परंतु इस तरह की गालियां तो गली के नेता भी नहीं देते थे। इन दिनों भाजपा के सांसद दे रहे हैं। जी हां, बात उज्जैन के सांसद चिंतामणि मालवीय की ही हो रही है जो अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखते हैं। डॉक्टर यानि पढ़ा लिखा और सभ्य इंसान परंतु सोशल मीडिया पर तो इनका कुछ और ही रंग नजर आता है। भारत का भाग्य निर्धारित करने वाली संसद के माननीय सदस्य ने फेसबुक पर लिखा है कि राहुल गांधी की धर्म निरपेक्षता वेश्या जैसी तो नहीं।
सोशल मीडिया पर अपशब्दों की प्रतियोगिता शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर कुछ छोटे नेताओं ने मालवीय को जवाब भी लिखा है। उनका कहना है कि यदि धर्म निरपेक्षता वेश्या जैसी होती है तो कट्टरपंथी भी रखैल जैसे होते हैं। अपने मालिक की हर सही गलत को ना केवल सहर्ष स्वीकार करते हैं बल्कि ताली भी बजाते हैं और अपनी करनी पर गर्व भी करते हैं।
सवाल यह है कि यह किस तरह की बदजुबानी चल रही है। मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसा तो कभी नहीं होता था। कभी कोई अपशब्द निकाल भी दे तो उसी के वरिष्ठ नेता उसे डपट दिया करते थे। उसके अपने समर्थक भी टोक दिया करते थे। मध्यप्रदेश की राजनीति कभी भी दक्षिण की तरह हिंसक या दूसरे बदनाम राज्यों की तरह बदतमीज कभी नहीं रही। सवाल यह है कि क्या भाजपा में एक भी वरिष्ठ बुद्धिजीवी ऐसा नहीं है जो मालवीय जैसे लोगों को रोक सके। याद रखिए यदि एक बार यह सिलसिला शुरू हो गया तो कौन किसके लिए क्या शब्द निकाल देगा कहा नहीं जा सकता। कम से कम चुने हुए माननीय प्रतिनिधियों को तो दायरे में रखिए।