
इंडस्ट्री में किसी की हिम्मत नहीं होती, कॉलेज में बहुत शिकार हुई
मैं जिन दिनों लोकल ट्रेन से सफर किया करती थी, तब मुझे चेंबूर से वीटी जाना होता था और कॉलेज के उन दिनों में अक्सर मुझे कोई पिंच कर देता, कोई चिकोटी काट देता। मुझे बहुत गुस्सा आता और मैं चिल्ला कर हाथ उठा देती थी। मुझे लगता है ऐसे मामलों में चुप नहीं रहना चाहिए। वैसे आज इंडस्ट्री में मुझे 12 साल हो गए हैं और मुझसे यहां ऐसी-वैसी हरकत करने की किसी की हिम्मत नहीं होती, मगर जब मैं कॉलेज में थी तो मैं भी छेड़खानी का शिकार हुई।
आर्मी का जवान मेरे ब्रेस्ट घूर रहा था, फिर आंख भी मारी

मेरे साथ मेरी सहेली भी थी और वह लगातार मेरा हाथ खींचकर मुझे वहां से ले जाने की कोशिश कर रही थी, मगर मैं चुप नहीं रही। मेरी फटकार पर आर्मी जवान बहुत ही शर्मिंदा हो गया। सेक्सुअल हैरासमेंट की परिभाषा बहुत ही वृहद है। यह कुछ भी हो सकता है। हाथ लगाना, अश्लील बातें करना या मॉलेस्ट करना ही यौन शोषण नहीं होता, कई बार लोग आंखों ही आंखों में आपका बलात्कार कर देते हैं।