गुजरात में BJP के लिए एक नई चुनावी झंझट: SEBI के शिकंजे में फंसे गुजरात के CM

नई दिल्ली। गुजरात में चल रहे चुनावों के बीच भाजपा के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी सेबी के टंटे में फंस गए हैं। सेबी ने रूपाणी को हेर-फेर का दोषी मानते हुए नोटिस जारी कर 15 लाख रुपए का जुर्माना ठोका है। इधर भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। भाजपा का कहना है कि सारा मामला ही गलत है। रूपाणी ने सुई की नौंक के बराबर भी गलत काम नहीं किया। सेबी ने विजय रूपाणी की हिंदू अविभाजित परिवार पर 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। रूपाणी की कंपनी पर सारंग केमिकल्स की कंपनी के साथ व्यापार में हेर-फेर का आरोप लगाया है। उनके अलावा कुल 22 कंपनियों पर जुर्माना लगा है। सेबी के आदेश अनुसार, जनवरी से लेकर जून 2011 में रूपाणी की कंपनी ओर से ये हेर-फेर किया गया है। 

नोटिस में लिखा गया है कि इन कंपनियों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक-दूसरे के शेयरों का व्यापार किया। सेबी ने 22 कंपनियों पर कुल 6.9 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। जिनमें से एक विजय रूपाणी की कंपनी है। मई 2016 में सेबी ने एक नोटिस जारी कर कहा था कि ये 22 कंपनियों ने सेबी के एक्ट का उल्लघंन किया है।

बीजेपी का डैमेज कंट्रोल
अहमदाबाद। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को सेबी के नोटिस के संबंध में भाजपा ने कहा है कि बुधवार को ही ट्रीब्यूनल ने इसे रद्द कर दिया था, कांग्रेस नेता राहुल गांधी का आरोप बेबुनियाद व सत्य से विपरीत है। रूपाणी ने सुई की नोंक के बराबर भी गलत नहीं किया। गुजरात भाजपा के प्रवक्ता भरत पंडया ने कहा है कि कांग्रेस झूठे मुद्दे उठाकर बेबुनियाद आरोप लगा रही है, सेबी के जिस नोटिस को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं उस नोटिस को सेबी ट्रीब्यूनल ने बुधवार को ही खारिज कर दिया।

मुख्यमंत्री रुपाणी ने सारंग केमिकल्स के साथ जो लेन देन किया वह कुल लेन देन का महज 0,1 प्रतिशत है, सट्टा द्वारा कोई ज्यादा नफा नहीं कमाया। रुपाणी ने 2009 में 63 हजार के शेयर खरीदे थे जिन्हें 2011 में 35 हजार रु में बेच दिए, इस सौदे में 28 हजार रु का नुकसान हुआ उक्त लेन देन को शेयर के नफा व नुकसान से कोई लेना देना नहीं है।

इसमें सेबी के निर्देश का कोई उल्लंघन हुआ नहीं तथा कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। छह साल बाद एक अधिकारी 22 फर्म से बिना उनका पक्ष सुने सीधे नोटिस जारी कर देता है, पेनल्टी का यह नोटिस एकतरफा आदेश था जिसे एक फर्म ने ट्रीब्यूनल में कानूनी चुनौती दी। यह नोटिस कानूनी तौर पर गलत व एकतरफा था जिसे एक दिन पहले ही सेबी के ट्रीब्यूनल ने रदद कर दिया।

गुजरात में भाजपा की समस्याएं
20 साल से सत्ता में होने के कारण जनता में स्वभाविक विरोध है। 
आरक्षण आंदोलन के कारण जातिवाद का समीकरण बिगड़ रहा है। 
मोदी के चले जाने से प्रदेश स्तर पर नेतृत्व का अभाव। 
फिल्म पद्मावती को लेकर राजपूत समाज की धमकी। 
और अब विजय रुपाणी का सेबी वाली समस्या। 

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