
वेबसाइट की ओर से जिरह करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने तर्क दिया कि जय शाह से संबंधित किसी भी लेख के प्रकाशन से वेबसाइट को रोकने वाला निचली अदालत का आदेश, संविधान में दिए गए वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। याचिका में कहा कि गया कि इसके पाठकों को जानने का अधिकार है और यह भी दावा किया कि लेख में जय शाह की कंपनी के बारे में मानहानिकारक कुछ भी नहीं है।
बता दें कि ‘द वायर’ ने खुलासा किया था कि अमित शाह के बेटे की कंपनी जो घाटे में चल रही थी अचानक मोटे मुनाफे में आई और फिर उसे बंद कर दिया गया। ‘द वायर’ का दावा है कि उसने केवल कंपनी के उतार चढ़ाव को जनता के बीच प्रस्तुत किया था। जय शाह के प्रति मानहानिकारक कुछ भी लेख नहीं था। बावजूद इसके उसके खिलाफ कार्यवाही की गई।