चालबाज चीन के खिलाफ एकजुट हुए दुनिया के 4 दिग्गज देश

नई दिल्ली। अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए दुनिया के देशों को नुकसान पहुंचा रहे चीन पर अंकुश लगाने के लिए आसियान समिट (ASEAN Summit 2017) में दुनिया के चार देशों ने मिलकर प्लान बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलीपींस से चीन को संदेश दे दिया है कि भारत ने कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है। भारतीय हमेशा दूसरों की मदद करते आए हैं। हम दुनिया को देने वाले लोग हैं, लेने वाले नहीं। चीन पर तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कहा कि किसी से कुछ छिनने की प्रवृति हमारी कभी नहीं रही। 

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इंडो-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत प्रगति कर रहा है। फिलीपींस में भारत के राजदूत जयदीप मजूमदार ने कहा कि साउथ एशिया, साउथ ईस्ट एशिया ग्रोथ सेंटर बनेंगे। इससे साउथ ईस्ट एशिया में भारत एक बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा। राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही मोर्चे हमारी ताकत बढ़ेगी।

ये 4 देश मिलकर चीन के मंसूबे पर फेरेंगे पानी
भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के अधिकारियों ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रस्तावित चतुष्कोणीय गठजोड़ के तहत सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का संकेत देते हुए बैठक की, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र (इंडो-पैसेफिक) में साझा हितों को बढ़ावा दने से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा की गयी। यह वह क्षेत्र है जहां चीन आक्रमक तरीके से अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है।

इस बैठक को इन चारो देशों के बीच चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता व्यवस्था शुरू करने की दिशा में पहला कदम के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरते सुरक्षा परिदृश्य के अलावा आतंकवाद तथा अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा की।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये एक-दूसरे से संबद्ध दृष्टिकोण और मूल्यों पर आधारित सहयोग पर केंद्रित रही। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'वे इस बात पर सहमत हुए कि मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र, क्षेत्र के देशों और कुल मिलाकर दुनिया के लिये दीर्घकालीन हितों को पूरा करता है। अधिकारियों ने क्षेत्र को प्रभावित करने वाले आतंकवाद और प्रसार जैसी साझा चुनौतियों के समाधान के अलावा संपर्क बढ़ाने के लिये विचारों का आदान-प्रदान किया। 

भारत ने पेश की ‘एक्ट ईस्ट पालिसी’
आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से पहले यह बैठक हुई है। इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैलकॉम टर्नबुल पहले ही यहां पहुंच चुके हैं। भारतीय पक्ष ने देश की ‘एक्ट ईस्ट पालिसी’ को रेखांकित किया जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियों का प्रमुख आधार है।

बैठक में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (दक्षिण विभाग) विनय कुमार और संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा शामिल हुए। ट्रंप और शिंजो आबे के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठक हुई. इसमें भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा हुई। भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता के गठन का विचार 10 साल पहले आया था लेकिन यह अबतक धरातल पर नहीं उतर पाया।

जापान की पहल से चीन के खिलाफ रचा गया व्यूह
जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने पिछले महीने कहा था कि तोक्यो जापान, अमेरिका, भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत बनाने को लेकर बातचीत का समर्थन करता है। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच चारों देशों को मिलाकर एक समूह बनाने का कदम उठाया जा रहा है।

चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर दावा करता है जबकि वियतनाम, फिलीपन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसका विरोध कर रहे हैं। अमेरिका विवादित दक्षिण और पूर्वी चीन सागर पर दावे को लेकर चीन पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है।

अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका का समर्थन करता रहा हैं जापान के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा था कि वह उन मुद्दों पर एक जैसे विचार वाले देशों के साथ काम करने को तैयार है जिससे उनके हित आगे बढ़ते हों।

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