
मानहानि केस में कोर्ट में क्या हुआ?
3 साल से चल रहे मानहानि केस में शुक्रवार दोपहर 3 बजे कोर्ट ने केके मिश्रा को दोषी करार दिया। 3.05 बजे दो साल की सजा के साथ उन पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। अगले 10 मिनट में यानी 3.15 बजे कोर्ट ने मिश्रा की बेल एप्लीकेशन मंजूर कर ली।
भर्ती घोटाले में सीएम की पत्नी के शामिल होने का आरोप लगाया था
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने परिवहन आरक्षक भर्ती में सीएम की पत्नी साधना सिंह की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इसके बाद शिवराज सिंह ने कहा था, ''गोंदिया (महाराष्ट्र) से मेरी पत्नी के किसी भी रिश्तेदार को मध्य प्रदेश में परिवहन आरक्षक के लिए नहीं चुना गया। कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि गोंदिया से 17 लोगों को भर्ती किया गया है। ऐसे आधारहीन आरोप लगाने वाले कभी तथ्यों को जानने की कोशिश नहीं करते। कहा जा रहा है कि सीएम हाउस से 139 फोन करे गए। जबकि उनके द्वारा जारी की गई कॉल डिटेल में एक भी नंबर सीएम हाउस का नहीं है।
बदनाम करने वालों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते: शिवराज
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्वीट कर कहा था, ''हम बेबुनियाद आरोप लगाने वालों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते हैं। ये साफ तौर पर मानहानि का मामला है। किसी पर आरोप लगने के बाद मीडिया उसका पक्ष भी लेती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। मैं जानता हूं कि हारने पर लोगों को तकलीफ होती है, खासकर दो-दो बार हारने पर। कुछ ही लोग हैं जो पार्टी की हार को गरिमा के साथ स्वीकार करते हैं। लेकिन, क्या इन लोगों को इतना नीचे गिर जाना चाहिए?
क्या है मानहानि कानून?
आईपीसी की धारा 500 और 501 लोगों के आत्मसम्मान की रक्षा करने के लिए बनाई गई है। इसमें किसी भी शख्स की ओर से बेबुनियाद बयान या लिखित तौर पर भ्रामक जानकारी फैलाने पर मानहानि केस फाइल किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर इसमें अधिकतम 2 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकता है।