
गौरतलब है की पूर्व शासकीय लोक अभियोजक छगन नरवाड़िया ने एक मई 2017 में एक शिकायत सीबीआई दिल्ली को भेजी थी कि पुस्तक बाजार स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में लोन के नाम पर पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी की गई है और कहा था कि बैंक के एडवोकेट रहते हुए राजेंद्र पोरवाल की मिली भगत से बैंक आॅफ बड़ौदा में 2013-14 में करीब दो करोड़ रूपए से अधिक का लोन बेनामी किसानों के नाम से ले लिया गया। बाद में जब रिकवरी की बात आयी तो पता चला की जिन किसानों के नाम पर लोन लिए गए न तो उनके नाम जमीन है और नहीं उन्हें पता है की उनके नाम लोन लिया गया है।
बांटे गए फर्जी लोन में एडवोकेट छगनलाल नरवाड़िया ने सीबीआई दिल्ली और भोपाल के अलावा तत्कालीन नीमच कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव को भी शिकायत की थी। कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा था लेकिन बैंक प्रबंधन ने कलेक्टर के आदेश को कोई तवज्जो नहीं दी।
एडवोकेट नरवाड़िया ने बताया की ऐसे दर्जनों किसान है जिनके नाम का उपयोग किया गया और करोडो रूपए लोन ले लिया गया जबकि इन किसानों के नाम पर न तो जमीन है और न ही इनको पता है की इनके नाम पर लोन लिया गया। इस घोटाले में राजस्व विभाग के कर्मचारी भी शामिल है जिन्होंने फर्जी पावती और खसरे खाते की नकले दी वही इस पूरे खेल में बैंक के अफसरों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अब यह पूरा मामला सीबीआई की पड़ताल में आ चुका है।
उम्मीद की जा रही है की अब इस मामले की परते खुलेगी इस मामले में नीमच शाखा प्रबंधक ओम प्रकाश गौड़ ने बताया की हमारे यहाँ पूर्व का एक ऋण का मामला चल रहा है जिसे मेने अपने उच्चाधिकारियों को बता दिया था इस मामले में, मै ज़यादा कुछ नहीं बोल सकता क्योकि इस मामले में जांच चल रही है।