इस भारतीय नागरिक ने फोड़ा था दुनिया का सबसे तेज पटाखा

भारत इन दिनों पटाखों में बिजी है। तो आइए हम बताते हैं आपको भारत के उस पटाखे के बारे में जिसकी आवाज से अमेरिका तक हिल गया था। जिसकी गूंज सारी दुनिया में सुनाई दी और जिसको चलाने का कभी विरोध नहीं हुआ। 

1998 में जब यह पटाखा चलाया गया तो सारा देश गर्व से सीना तानकर खड़ा हो गया और पड़ौसी पाकिस्तान घबराकर अमेरिका की तरफ भागा। सबसे मजेदार बात तो यह है कि पटाखा चलाने वाले को इस देश की संसद ने भारत का राष्ट्रपति बनाया। जी हां, मैं यहां भारत के महान वैज्ञानिक एवं राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की बात कर रहा हूं, जिन्हे सारा देश प्रणाम करता है। आज उनका जन्म दिवस है। 15 अक्टूबर 1931 को उनका जन्म ​हुआ था। 

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के जन्म दिवस को अंतर्राट्रीय विद्यार्थी दिवस भी होता है। कलाम उस महान भारतीय नागरिक का नाम है जिसने राष्ट्रपति पद का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सरकारी बंगले में शान से जिंदगी बसर नहीं की बल्कि फिर से अपना काम शुरू कर दिया। ज्यादातर लोग इस तरह के बड़े पदों पर पहुंचने के बाद सरकारी सुविधाओं पर अपनी बची जिंदगी बसर कर लेते हैं और सरकारी कामकाज में टीका टिप्पणियां किया करते हैं परंतु राष्ट्रपति कार्यालय छोड़ने के बाद, कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।

भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।

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