मस्जिद और चर्च में आरक्षण नहीं तो मंदिरों में क्यों: ब्राह्मण समाज नाराज

सागर। केरल के करीब 1300 प्राचीन मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण लागू किए जाने से ब्राह्मण समाज आक्रोशित है। ब्राह्मण समाज का कहना है कि पुजारियों की नियुक्ति धर्मशास्त्र और प्राचीन परंपराओं के अनुसार होनी चाहिए। इसमें वोटबैंक की राजनीति नहीं होनी चाहिए। ब्राह्मण समाज ने यह सवाल भी किया है कि जब मुस्लिम और ईसाई समाज में धर्मगुरूओं की नियुक्ति में आरक्षण लागू नहीं होता तो मंदिरों में क्यों। ब्राह्मण समाज ने केरल सरकार के प्रति विरोध दर्ज कराया है। 

युवा सर्व ब्राह्मण समाज, व पुजारी संघ मध्यप्रदेश ने केरल सरकार के सनातन धर्म विरोधी फैसले का पुरजोर तरीके से विरोध किया है। सभी जिला एवं तहसील के सर्व ब्राह्मण समाज के संगठन दिनांक 9 तारीख को इस संबंध में अपना अपना विरोध जिला एवं तहसील मुख्यालय पर दर्ज कराएगें यह निर्णय बुंदेलखंड ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं. भरत तिवारी की अगुआई में हुई बैठक में लिया गया। अपने बयान में सभी ने एक बात का जिक्र जरूर किया की यह ब्राह्मणों के अपमान और हिंदू समाज को तोड़ने की साजिश है। वैदिक रीतियों को संपन्न कराने का अधिकार वेदों ने ब्राह्मणों को दे रखा है।

अगर कुरान की शरीयत में हस्तक्षेप नहीं हो सकता है तो हमारे वेदों में हस्तक्षेप क्यो किया जा रहा है। ब्राह्मण समाज संपूर्ण हिंदू समाज को साथ लेकर सनातन धर्म विरोधी निर्णय के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन सागर कलेक्टर कार्यालय में किया। इसके बाद प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन संयुक्त कलेक्टर सागर को सौंपा। इस अवसर पर पुजारी संघ के संरक्षक पं.रामगोविंद शास्त्री,शिवसेना मंध्यप्रदेश के उप राज्य प्रमुख पप्पू तिवारी ,विधि परिषद मंध्यप्रदेश के अध्यक्ष दीपक पौराणिक,पुजारी संघ के महासचिव शिवप्रसाद तिवारी,विनोद शुक्ला, शेखर तिवारी,डॉ रामचंद्र शर्मा,अशोक दुबे,त्रिलोक तिवारी,संतोष पांडेय,संतोष तिवारी सहित बड़ी संख्या में पुजारी,पंडित,धर्माचार्य, कथावाचक,कर्मकांडी ब्राह्मण एवं ब्राह्मण समाज के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !