
खोंगल ने बताया कि प्रदेश में लगभग 3 लाख पेंशनर्स हैं इससे पूर्व की सरकारों ने हमेशा सभी पेंशनर्स को वेतनमानों के लाभ एक साथ दिया है। मप्र के पेंशन भोगी देश के अन्य राज्यों की तुलना मे सबसे अधिक दयनीय स्थिति मे हैं। वृद्धावस्था की अवस्था मे नाम मात्र की पेंशन मिलने के कारण उन्हें जीवन यापन मे भारी आर्थिक कष्ट उठाने पङ रहे है। 7वें वेतनमान की प्रतीक्षा मे अनेक पेशनर्स की मृत्यु हो गई है।
उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि बुर्जुगों के प्रति उसकी मानवीय संवेदनाएं समाप्त हो गई हैं क्योंकि वयोवृद्ध पेंशनभोगियों को इसी अवस्था मे लीवर, मधुमेह, हदयरोग एंव अन्य प्रकार की गभीरं बीमारियों के लिए अपनी पेंशन का अधिकांश भाग अपने उपचार मे खर्च करना पङता है।सरकार के इस पेंशनर्स विरोधी आदेश के विरोध मे 6 नंवबर को कर्मचारी कांग्रेस के पदाधिकारी विंध्याचल भवन परिसर मे आदेशों की प्रतियाँ जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।