गुजरात चुनाव: अमित शाह के लिए सिरदर्द हैं ये 3 इडियट्स

नई दिल्ली। भाजपा के प्रोफेसर वीर सहस्त्रबुद्धे के लिए इन दिनों गुजरात के 3 इडियट्स सबसे बड़ा सिरदर्द बन गए हैं। राहुल गांधी व केजरीवाल जैसे नेताओं को धूल चटाने की रणनीति बनाने वाले अमित शाह को यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इन तीन युवाओं का तोड़ क्या निकाला जाए। शायद इस बात को बीजेपी व पीएम नरेंद्र मोदी ने समझ लिया और बिना देर किए ही दर्जन भर मुख्यमंत्रियों के साथ तमाम मंत्रियों और आरआरएसएस कार्यकर्ताओं की फौज को चुनाव प्रचार में लगा दिया है। गुजरात चुनाव में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर की तिकड़ी अगर एक साथ चुनाव लड़ती है तो तय मानिये बीजेपी के लिए यह अच्छे संकेत नहीं है। दूसरा यह भी है कि इनका झुकाव कांग्रेस की ओर है। हालांकि तीनों में किसी ने कांगे्रस के साथ चुनाव लडऩे या समर्थन देने की अभी तक घोषणा नहीं की है। तिकड़ी पर डालते हैं एक नजर:- 

हार्दिक पटेल: पाटीदारों के युवातुर्क
गुजरात में 12 प्रतिशत पाटीदारों के वोट हैं। हार्दिक पटेल द्वारा पाटिदारों के लिए आरक्षण को लेकर जिस प्रकार आन्दोलन को पूरे गुजरात में अगुवाई किया उससे उनकी छवि बीजेपी के लिए घातक बन गई। गुजरात सरकार के लाख कोशिशों के बाद भी केंद्र सरकार तक अपनी पहुंचाने वाले हार्दिक इस समय पटेल समाज के साथ हो रही नाइंसाफी से नाराज हैं, यही कारण है कि पटेल समुदाय का 12 प्रतिशत का वोट भाजपा से खिसकता दिख रहा है। अब गुजरात सरकार पाटीदारो को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। चौकाने वाली बात यह है कि हार्दिक का कांग्रेस की तरफ है, गुजरात आने पर उन्होंने ट्वीट करके राहुल गांधी का स्वागत किया था। जिससे कयास लगाया जा रहा है कि वो राहुल गांधी से हाथ मिला सकते हैं।

जिग्नेश मेवाणी: दलितों की दबंग आवाज 
जिग्नेश मेवाणी राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक है और राज्य में दलितों पर हो रहे हमलों के लिए गुजरात सरकार को ज़िम्मेदार मानते हैं। गौरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई पर जिग्नेश ने भाजपा को खूब लताड़ा था और आन्दोलन का नेतृत्व भी किया था। अब गुजरात में दलितों का वोटबैंक भाजपा के लिए हथियाना मुश्किल लग रहा है। जिग्नेश मेवाणी कहते है, राज्य में दलित पर हो रहे हमलों को रोकने और उनकी स्थिति में सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। बीजेपी का हिंदुत्व का एजेंडा है और इस सरकार के रहते उनका भला नहीं हो सकता।ज् उन्होंने ये भी कहा कि इस बार बीजेपी को हर क़ीमत पर हराया जाना चाहिए। आज़ादी कूच आंदोलन में जिग्नेश ने 20 हज़ार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी। इस आंदोलन में दलित मुस्लिम एकता भी दिखाई दी थी। 

अल्पेश ठाकुर: पिछड़ा वर्ग का अगड़ा नेता 
इस तिकड़ी की तीसरी कड़ी हैं ओबीसी, एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकुर। राज्य में दलितों का वोट प्रतिशत कऱीब सात फ़ीसदी है। राज्य की कुल आबादी लगभग 6 करोड़ 38 लाख है, जिनमें दलित 35 लाख 92 हज़ार के कऱीब हैं। ओबीसी का वोट प्रतिशत पाटीदार और दलितों से कही गुना ज्यादा है। उनका कहना है कि विकास सिर्फ दिखावा है और गुजरात में इसी कारण लाखो लोग बेरोजगार है। इन तीनों के एक साथ होने पर बीजेपी के लिए गुजरात में जीत का सिलसिला कायम रखा मुश्किल होगा।

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