10 बार चुनाव जीत चुका हूं, मेरा टिकट कौन रोकेगा: बाबूलाल गौर

भोपाल। उम्र के आधार पर मंत्रीमंडल से हटाए गए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर का कहना है कि वो 10 बार चुनाव जीत चुके हैं। उसकी जीत पक्की है तो फिर उनका टिकट कौन रोक सकता है। अपने रीवा प्रवास के दौरान उम्र बंधन को दरकिनार करते हुए कहा कि वे दस बार से जीत रहे हैं, इसलिए टिकट तो उन्हें मिलेगी ही। चुनाव लड़ने को लेकर कोई बंधन नहीं है। माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान इस बार गौर को टिकट नहीं देंगे। उनकी सीट पर उत्तराधिकारी की तलाश भी शुरू हो गई है। भोपाल की 2 सीटें ऐसी हैं जिन पर कई दिग्गज नेता अपनी नजरें गड़ाए बैठे हैं। महापौर आलोक शर्मा भी विधानसभा में आने को आतुर हैं। 

गौर ने रेफरेंस देते हुए कहा कि कर्नाटक में 80 वर्षीय येदियुरप्पा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है। यूपी में कई विधायक 80 साल के हैं। अत: भाजपा में चुनाव लड़ने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने शिवराज सिंह सरकार पर कई हमले भी किए। पूर्व सीएम ने शराब को लेकर भी चिंता दिखाई। कहा, शराब के कारण गरीबी और बीमारी होती है। ढाई हजार देशी और 11 सौ विदेशी मदिरा की दुकानें चल रही है। हर साल सौ से सवा सौ शराब दुकानें बंद रनी चाहिए। इस तरह धीरे-धीरे शराब पूरी प्रदेश में बंद कर देनी चाहिए।

मोदी को लिखा है पत्र 
पूर्व मुख्यमंत्री ने गौरक्षा को लेकर हो रहे प्रयासों पर भी सवाल उठाया। कहा, प्रदेश सरकार से प्रति गाय सिर्फ 1 रुपये 69 पैसे अनुदान मिल रहा है। केन्द्र से एक पैसा भी अनुदान नहीं मिल रहा। प्रदेश सरकार से प्रति गाय कम-से-कम दस रुपये अनुदान देने की मांग की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। गंगा की सफाई का काम भी ठीक से नहीं चल रहा है। राम मंदिर भी नहीं बन रहा है। गौ-रक्षा पर भी ठीक से काम नहीं हो रहा। अमित शाह के बेटे के मामले में उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कुपोषण में नम्बर-एक पर मध्यप्रदेश
यादव महासभा के संभागीय सम्मेलन में शामिल होने आए पूर्व गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने प्रदेश में कुपोषण की स्थिति पर अफसोस जताया। कहा कि पिछले पांच वर्ष से शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश नम्बर एक पर चल रहा है। एक हजार बच्चों के जन्म पर 47 बच्चों की मौत हो जाती है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पौष्टिक आहार न मिलने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। महिला बाल विकास मंत्री एवं सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पौष्टिक आहार मिलना चाहिए, ताकि कुपोषण दूर हो।

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