चाहे कुछ भी हो, हम पेट्रोल/डीजल पर TAX नहीं घटाएंगे: वित्तमंत्री

नई दिल्ली। भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सस्ता होने के बावजूद देश में महंगा बिक रहे पेट्रोल/डीजल के दामों के लिए राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही यह भी कहा है कि वो केंद्र सरकार की तरफ से लगने वाले टैक्स कम नहीं करेंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तेल मूल्यों में बढ़ोतरी पर केंद्र का रुख साफ करते हुए कहा कि सरकार को रेवेन्यू चाहिए। बगैर कमाई के सरकार सार्वजनिक खर्च में इजाफा नहीं कर सकेगी और इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। 

टैक्स नहीं बढ़ाएंगे तो विकास कैसे होगा
तेल कीमतों में बढ़ोतरी पर केंद्र की ओर से सफाई देते हुए जेटली ने कहा कि सरकार चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। कमाई नहीं होगी तो हाईवे कहां से बनेंगे। अन्य विकास कार्य कैसे होंगे। सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाया है। विकास दर में जो बढ़ोतरी हो रही है वह सार्वजनिक खर्च में की गई बढ़ोतरी और एफडीआई की बदौलत है। अगर सार्वजनिक खर्च घटता है तो सामाजिक योजनाओं के खर्चों में कटौती करनी पड़ेगी।  

क्या केंद्र के टैक्स में हिस्सेदारी नहीं लेगा विपक्ष?  
तेल मूल्यों पर सरकार की आलोचना पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए जेटली ने कहा कि जिन राज्यों में इन दलों की सरकार है, उन्हें भी केंद्र की टैक्स वसूली में हिस्सेदारी मिल रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर वसूले गए टैक्स का 42 फीसदी राज्यों को मिलता है। क्या विपक्ष शासित राज्यों में टैक्स कम है?  हालांकि जेटली ने यह नहीं बताया कि जब भाजपा विपक्ष में थी और पेट्रोल/डीजल मूल्यवृद्धि का विरोध करती थी तब राज्यों में उसी भाजपा की सरकारें क्या वह सबकुछ करतीं थीं जिसकी अपेक्षा वो वर्तमान में विपक्षी सरकारों से कर रहे हैं। 

राज्यों में तेल कीमतों पर वैट का हिस्सा 
महाराष्ट्र ==46.52 फीसदी
आंध्र ==38.82 फीसदी 
मध्य प्रदेश== 38.79 फीसदी, इसके अलावा एक अतिरिक्त टैक्स भी है यहां। 
पंजाब ==36.04 फीसदी 
हिमाचल ==27 फीसदी 
दिल्ली ==27 फीसदी 
हरियाणा== 26.25 फीसदी 
यूपी== 33 फीसदी (पेट्रोल)
उत्तराखंड==  32.7 (पेट्रोल)
राजस्थान==  34.7 (पेट्रोल)
ओडिशा==  26 (पेट्रोल, डीजल) 

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