MP जीतना है तो साफ करें चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ेंगे: दिग्विजय सिंह

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अब तो हालात यह हैं कि कांग्रेस के दिग्गज भी हाईकमान की चुप्पी से असंतुष्ट होते जा रहे हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति में खासा दखल रखने वाले दिग्विजय सिंह ने खुद को इससे दूर रखा है परंतु उनका कहना है कि यदि मध्यप्रदेश में जीतना है तो अक्तूबर से पहले-पहले साफ करना जरूरी है कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ेंगे। दिग्विजय सिंह के खास विरोधी कहे जाने वाले सत्यव्रत चतुर्वेदी का भी यही कहना है। चतुर्वेदी भी राजनीति से सन्यास लेने की बात कह चुके हैं परंतु चाहते हैं कि हाईकमान मप्र का नेतृत्व स्पष्ट करे। 

दिग्विजय सिंह कहते हैं, हाईकमान को मौजूदा नेतृत्व पर भरोसा है तो उसे पूरी जिम्मेदारी दे दे। दूसरा भरोसेमंद चेहरा लाना है तो उसे ले आएं लेकिन यह काम प्रदेश संगठन के चुनाव तक पूरा कर लें, ताकि विधानसभा चुनाव की तैयारी का पर्याप्त समय मिले। अभी मप्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह हैं। प्रदेश में कांग्रेस जिला समितियों के चुनाव 30 सितंबर तक पूरे करने हैं। अक्तूबर में प्रदेशाध्यक्ष चुना जाएगा।

खुद को नेतृत्व की दौड़ से बाहर बता रहे दिग्विजय 30 सितंबर से नर्मदा यात्रा पर भी निकलेंगे। यात्रा 110 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। हालांकि, वह इसे राजनीतिक के बजाय सामाजिक और आध्यात्मिक यात्रा बताते हैं। वहीं, राज्यसभा सांसद और बुंदेलखंड के प्रमुख नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी कहते हैं, मैंने पिछली बार भी कहा था कि जीतने के लिए तुरंत सिंधिया को चुनाव की बागडोर सौंप दी जाए। जबकि सिंधिया कहते हैं, यह फैसला हाईकमान को लेना है। हमारा काम जनता की सेवा और आदेश का पालन करना है।

मंदसौर गोलीकांड में 6 किसानों की मौत के बाद से सिंधिया किसानों के बीच सक्रिय हैं। नए नेतृत्व के मुद्दे पर कमलनाथ कैंप ने चुप्पी साध रखी है। जहां तक केंद्रीय नेतृत्व का सवाल है तो पार्टी पहले ही मोहन प्रकाश की जगह दीपक बाबरिया को प्रदेश प्रभारी महासचिव बना चुकी है। यह फैसला दिग्विजय, सिंधिया और कमलनाथ की सहमति से लिया गया था।

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