
क्या था घटनाक्रम
भोपाल की सेंट्रल जेल से 30-31 अक्टूबर की दरमियानी रात 8 कैदी भागे थे। जिन्हे शहर के बाहर पहाड़ी पर घेरकर पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया गया था। भागने वालों में अहमद रमजान खान, जाकिर हुसैन, शेख मेहबूब, मोहम्मद सालिक, मुजीब शेख, अकील खिलजी, खालिद अहमद और मजीद नागौरी शामिल थे, जो सभी एनकाउंटर में मारे गए। भागने से पहले बदमाशों ने जेल प्रहरी रमाशंकर की हत्या कर दी थी। इस मामले में कैदियों की फरारी और एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे थे। देश भर में यह मामला बहस का विषय बन गया था। चीफ मिनिस्टर शिवराज सिंह चौहान ने 7 नवंबर 2016 को जस्टिस पांडे की अध्यक्षता में 3 माह के लिए सिंगल मेंबर की ज्यूडिशियल इन्क्वारी गठित की थी। इसका समय 9 माह तक बढ़ाया गया।
सिमी कार्यकर्ताओं की फरारी के लए जेल प्रबंधन दोषी
कमीशन ने भोपाल जेल में क्षमता से दोगुने कैदी बंद होने के संबंध में जेल प्रबंधन द्वारा लिखे गए पत्रों को गंभीरता से न लेना भी लापरवाही बताया।
कमीशन ने यह भी कहा है कि कैदियों पर नजर रखने के लिए जेल में 42 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन इसमें सिमी के आतंकियों की निगरानी के लिए लगे चारों सीसीटी कैमरे खराब पाए गए। जो घटना से डेढ़ महिने पहले से बंद थे।
30-31 अक्टूबर 2016 की रात भोपाल सेंट्रल जेल में 70 की बजाए सिर्फ 40 स्टाफ ड्यूटी पर थे। इनमें से भी कई लोग दिवाली मना रहे थे ये बात जेल के ज्यादातर कैदियों को पता थी।
खबर मिलने पर भी बाकी सुरक्षा गार्ड ने अलार्म या सिटी बजा कर बाकी को अलर्ट नहीं करने पर जेल प्रबंधन की लापरवाही बताई है।
ज्यूडिशियल इन्क्वायरी में हालात और परिस्थिति का हवाला देते हुए जेल ब्रेक करके भागे 8 सिमी आतंकियों के एनकांउटर को सही ठहराया है।
कमीशन ने ग्रामीणों के बयान के आधार पर अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि फरार हुए सिमी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने मनीखेड़ी गांव के आसपास घेरकर उन्हें सरेंडर करने को कहा था, लेकिन आतंकियों ने पुलिस पर गोलीबारी करना शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में वो मारे गए।