संयुक्त हिंदू परिवार में बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू अविभाजित परिवार का कोई सदस्य अगर परिवार से अलग होना चाहता है तो और वह संपत्ति पर दावा करना चाहता है तो उसे यह साबित करना होगा कि उसने संपत्ति को खुद से अर्जित किया है या फिर वह संपत्ति पैतृक संपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट के जज आरके अग्रवाल और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने कहा कि परिवार अगर संयुक्त है और कोई व्यक्ति परिवार से अलग होना चाहता है और वह संपत्ति के कुछ हिस्से पर दावा करता है तो उसे यह साबित करना होगा कि उसने यह संपत्ति खुद से कमाई है या फिर यह संपत्ति पैतृक है। 

अगर वह कुछ संपत्ति पर रहता है और उस संपत्ति के एक हिस्से पर दावा करता है तो यह उसकी खुद की जिम्मेदारी होगी वह यह साबित करे कि उसने संपत्ति का यह हिस्सा खुद से अर्जित किया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। जिसमे संयुक्त परिवार की संपत्ति घोषित किए जाने के बाद परिवार के कुछ सदस्यों के संपत्ति के दावे को खारिज कर दिया गया था। 

इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि उसने कृषि भूमि को खुद से अर्जित किया है, लिहाजा परिवार के दूसरे सदस्यों का इसपर कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिन्दू कानून के मुताबिक हर परिवार भोजन, संपदा और पूजा के मामले में एक संयुक्त परिवार है, लिहाजा सबूत नहीं होने पर संयुक्त परिवार की ही अवधारणा को लागू किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर व्यक्ति इस बात को स्वीकार करता है कि वह संयुक्त परिवार में रहता है तो उसे इस बात को साबित करना होगा कि उसने संपत्ति को खुद से अर्जित किया है।

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