भूमाफियाओ ने मेरठ का एतिहासिक महल बेच डाला

मेरठ के इतिहास में अपनी अलग पहचान रखने वाले नादिर अली के महल को ही भूमाफियाओ ने बेच डाला। आरोप है कि कई साल पहले इसके मुतवल्ली यानि केयर टेकर ने फर्जी तरीके से बेच दिया था और करोड़ो रूपये की बंदरबाट भी कर ली थी। अब इस मामले में कमिश्नर के आदेश पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की तरफ से दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

मेरठ में नौचंदी थाने के पीछे नादिर अली का महल है। इस महल में ही आरएफसी यानि संभागीय खाद्य नियंत्रक का दफ्तर भी चलता है। इस महल और उसके आसपास की जमीन 13 हजार 612 वर्ग मीटर है। आरोप है कि इसके ​मुतवल्ली आफताब अहमद ने कई साल पहले एक बिल्डर और कई अन्य को करोड़ों रूपये में बेच दिया था और फ़र्ज़ी बैनामा कराकर करोड़ो रूपये डकार लिए।

इस मामले में वर्षों पहले तत्कालीन आरएफसी दफ्तर के अधिकारियों ने शासन को अवगत भी कराया था लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही रहा। अब मेरठ के कमिश्नर डॉक्टर प्रभात कुमार के आदेश पर ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अब नौचंदी मैदान स्थित महल में स्थित संभागीय खाद्य नियंत्रक और कम्पाउंड की करोड़ों रुपए की ज़मीन बेचने वालों पर मुकदमा दर्ज कराया है. सोमवार को इस मामले को लेकर नादिर अली के परपोते मेरठ के ज़िलाधिकारी से मिले।

दरअसल नादिर अली आज़ादी के पहले देश के बड़े रईसों में से एक थे। उसी समय से नादिर अली का म्यूजिकल सामान का कारोबार आज भी है। देश-विदेश में आज भी नादिर अली कंपनी के नाम से गाजे बाजे का सामान मशहूर हैं। हालांकि 1931 में नादिर अली और उनके पार्टनर ने इस महल को वक्फ को दे दिया गया। इसी में आरएफसी का दफ्तर भी खोला गया लेकिन अब भूमाफिया और मुतवल्ली से साठगांठ से महल और करोड़ों की जमीन बेच दी गई।

जानकारी कमिश्नर प्रभात कुमार को हुई तो उन्होंने मुतवल्ली आफताब के अलावा अन्य एक और के खिलाफ फ़र्ज़ी तरीके से वक्फ की जमीन को बेचने के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया. इस मामले की दोबारा जांच करने पर भी जमीन वक्फ की ही निकली। पहली जांच में ये सारी ज़मीन वक्फ बोर्ड की ही पाई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर मुतवल्ली आफताब और फाईज़ आफताब के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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