पत्नी से बातचीत बंद कर देना 498ए के तहत क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर पति या सास-ससुर दुल्हन से बात नहीं करते हैं, तो यह आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता नहीं है। महिला ने पुलिस में शिकायत की थी कि शादी के बाद वह 20 दिनों तक अपने पति के साथ रही। मगर, उसके ससुरालीजनों और पति ने उससे बात ही नहीं की। महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसकी ओर से गंभीर प्रयास करने के बाद भी उसका पति बात नहीं कर रहा था। इतना ही नहीं, वह शादी को भी आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं था। मामला हैदराबाद के साइबराबाद का है।

महिला का पति ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करता था और कुछ समय बाद वह वापस वहीं चला गया। इस बीच उसे अकेला छोड़ दिया गया और घर में किसी ने भी उससे बात नहीं की। उसे अपने मां-पिता के घर वापस जाने के लिए मजबूर किया गया।

महिला ने दावा किया कि उसके परिवार ने उसकी शादी में 15 लाख रुपए खर्च किए थे और करीब 20 लाख रुपए के गहने दिए थे। महिला की शिकायत पर साइबराबाद पुलिस ने इस मामले में महिला के पति और उसके ससुरालवालों पर केस दर्ज किया था और मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को इस मामले की सुनवाई करनी है।

इस बीच महिला के पति और उसके माता-पिता ने हैदराबाद हाईकोर्ट में शादी को अवैध घोषित करने की मांग करते हुए याचिका लगाई थी। मगर, हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद महिला के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने महिला का पक्ष लिया था और मामले की सुनवाई के बाद कहा कि धारा 498ए के तहत यह क्रूरता नहीं है। साथ ही धारा 406 के तहत विश्वासघात का मामला भी नहीं है।

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