संविदा नीति 2017 के खिलाफ मंत्रालय में काले गुब्बारे उड़ाए

भोपाल। कैबिनेट में प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग संविदा नीति 2017 को मंत्रिपरिषद की बैठक में लेकर जा रहा है उस नीति में ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिससे कि संविदा कर्मचारी बंधुआ मजदूर बन जायेगा। कैबिनेट में बैठने वाले मंत्रीगण उस नीति को पास ना करें इसके लिए मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने आज मंत्रालय वल्लभ भवन पर काले गुब्बारे छोड़कर कैबिनेट में लाई जा रही संविदा नीति 2017 का विरोध किया। 

इस नीति को लाने के पहले सामान्य प्रशासन विभाग ने ना ही कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा का सुझाव लिया ना ही किसी भी कर्मचारी संगठनों और विभागों से सुझाव मांगे गये ना ही दावे आपत्ति लिये गये। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर कहा कि एक तरफ सरकार अतिथि शिक्षकों जो स्कूलों में पीरेयड के हिसाब से पढ़ाते हैं उनको नियमित पदो के 25 प्रतिशत आरक्षण दे रही है तथा संरपचों के द्वारा नियुक्त गुरूजियों, पंचायत कर्मियों, शिक्षाकर्मियों जिनकी नियुक्ति बिना किसी चयन प्रक्रिया से हुई थी एसे कर्मचारियों को सरकार ने सीधे नियमित कर दिया तो संविदा कर्मचारी जो विधिवत् परीक्षा के माध्यम् से नियुक्त होकर आए हैं उनको नियमित क्यों नहीं कर रही है। मप्र सरकार संविदा कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार बंद करें । 

संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि प्रदेश सरकार संविदा कर्मचारियों के लिए संविदा नीति 2017 बना रही है जिसमें संविदा कर्मचारियों के लिए बंधुआ मजदूरों जैसे ष्प्रावधान किये गये हैं । संविदा नीति 2017 में संविदा कर्मचारियों को अर्जित अवकाष, चिकित्सा अवकाष, शासकीय अवकाष जैसे रविवार, के अवकाषों का भी प्रावधान नहीं किया गया है । संविदा कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, आदि के लिए मनाही की गई है। वेतन भी वित्त विभाग की कृपा पर निर्भर रहेगा । संविदा कर्मचारियों की सेवा जब चाहे प्रबंधन समाप्त कर सकेगा उसके लिए संविदा कर्मचारी को सूचना देनी भी आवष्यक नहीं होगी । संविदा अविध अधिकतम् 3 वर्ष तक के लिए बढ़ाई जा सकती है , उसके बाद संविदा स्वंयमेव समाप्त मानी जायेगी। पूर्व से पन्द्रह बीस सालों से कार्यरत संविदा कर्मचारी अधिकारी भी इस नीति के बनने के बाद उसके दायरे में आ जायेंगें । ऐसे प्रावधानों से स्पष्ट है कि म.प्र. सरकार संविदा कर्मचारियों क लिए संविदा नीति नहीं बंधुआ मजदूर बनाने की नीति बना रही है तथा देष में फैली बेरोजगारी का फायदा उठाकर पढ़े लिखे युवाओं का शोषण करना चाह रही है । जो कि बर्दाष्त नहीं किया जायेगा । 

प्रदर्षन में राज्य षिक्षा केन्द्र, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, एनआरएचएम, पंचायती राज विभाग, महिला बाल विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग, पीएचई विभाग, खेल एवं युवक कल्याण विभाग, तकनीकी षिक्षा विभाग, बिजली विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, वाणिज्यक कर विभाग, सहकारिता विभाग, पषुपालन विभाग, लोक सेवा एवं प्रबंधन विभाग, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आवास एवं पर्यावरण विीााग, वन विभाग , नगरीय प्रषासन विभाग, संस्कृति विभाग, आयुष विभाग, जन अभियान परिषद सहित कई विभागों के कर्मचारियों अधिकारियों ने भाग लिया,        

प्रदर्शन में निम्न कर्मचारी अधिकारी भी शामिल थे नाहिद जहां, अनिल सिंह, अमित कुल्हार, महेष शेंडे, अवधकुमार गर्ग, प्रियंका जैन, विजय सप्रे, मुकेष यादव, श्लोक श्रीवास्तव, विपुल सक्सेना, सुरेष राठौर, योगेष , मनोज सक्सेना, संतोष साहु, अर्जन पाल, ओपी श्रीवास्तव, हरिओम उपाध्याय आदि कर्मचारी अधिकारी उपस्थित थे। म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेष अध्यक्ष रमेष राठौर ने चेतावनी दी है कि संविदा नीति 2017 निरस्त कर संविदा नियमितीकरण नीति 2013 लागू नहीं की तो प्रदेष में ऐतिहासिक आंदोलन किया जायेगा ।

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