
संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि प्रदेश सरकार संविदा कर्मचारियों के लिए संविदा नीति 2017 बना रही है जिसमें संविदा कर्मचारियों के लिए बंधुआ मजदूरों जैसे प्रावधान किये गये हैं। संविदा नीति 2017 में संविदा कर्मचारियों को अर्जित अवकाष, चिकित्सा अवकाश, शासकीय अवकाश जैसे रविवार, के अवकाशों का भी प्रावधान नहीं किया गया है। संविदा कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, आदि के लिए मनाही की गई है। वेतन भी वित्त विभाग की कृपा पर निर्भर रहेगा। संविदा कर्मचारियों की सेवा जब चाहे प्रबंधन समाप्त कर सकेगा उसके लिए संविदा कर्मचारी को सूचना देनी भी आवष्यक नहीं होगी। संविदा अविध अधिकतम् 3 वर्ष तक के लिए बढ़ाई जा सकती है, उसके बाद संविदा स्वंयमेव समाप्त मानी जायेगी। पूर्व से पन्द्रह बीस सालों से कार्यरत संविदा कर्मचारी अधिकारी भी इस नीति के बनने के बाद उसके दायरे में आ जायेंगें।
ऐसे प्रावधानों से स्पष्ट है कि मप्र सरकार संविदा कर्मचारियों क लिए संविदा नीति नहीं बंधुआ मजदूर बनाने की नीति बना रही है तथा देश में फैली बेरोजगारी का फायदा उठाकर पढ़े लिखे युवाओं का शोषण करना चाह रही है। जो कि बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
प्रदर्शन में राज्य शिक्षा केन्द्र, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, एनआरएचएम, पंचायती राज विभाग, महिला बाल विकास विभाग, लोक निर्माण विभाग, पीएचई विभाग, खेल एवं युवक कल्याण विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग, बिजली विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, वाणिज्यक कर विभाग, सहकारिता विभाग, पशुपालन विभाग, लोक सेवा एवं प्रबंधन विभाग, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आवास एवं पर्यावरण विभाग, वन विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, संस्कृति विभाग, आयुष विभाग, जन अभियान परिषद सहित कई विभागों के कर्मचारियों अधिकारियों ने भाग लिया, प्रदर्शन में निम्न कर्मचारी अधिकारी भी शामिल थे नाहिद जहां, अनिल सिंह, अमित कुल्हार, महेष शेंडे, अवधकुमार गर्ग, प्रियंका जैन, विजय सप्रे, मुकेष यादव, श्लोक श्रीवास्तव, विपुल सक्सेना, सुरेष राठौर, योगेष, मनोज सक्सेना, संतोष साहु, अर्जन पाल, ओपी श्रीवास्तव, हरिओम उपाध्याय आदि कर्मचारी अधिकारी उपस्थित थे।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने चेतावनी दी है कि संविदा नीति 2017 निरस्त कर संविदा नियमितीकरण नीति 2013 लागू नहीं की तो प्रदेष में ऐतिहासिक आंदोलन किया जायेगा।