SP समेत 80 पुलिस वालों को ग्रामीणों ने बंधक बनाया, 4 हजार ग्रामीण मोर्चें पर

रांची/झारखंड। नक्सलियों के इलाके में ग्रामीणों ने एसपी और डीएसपी सहित करीब 80 पुलिसकर्मियों को 14 घंटे तक बंधक बनाए रखा। ग्रामीण सीएनटी/एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के गांव में प्रवेश पर रोक लगा रखी है एवं बाकायदा बैरियर लगा दिया गया है। गुरूवार को पहले डीएसपी और फिर एसपी समेत तमाम दल बैरियर तोड़कर गांव में घुस तो गए परंतु ग्रामीणों ने उन्हे चारों तरफ से घेर लिया। पुलिस ने हवाई फायर भी किए परंतु ग्रामीण टस से मस नहीं हुए। करीब 500 ग्रामीणों ने पुलिस बल को बंधक बनाया जबकि 4 हजार ग्रामीणों ने गांव में आने वाले रास्ते जाम करके पहरा दिया। उपायुक्त डॉ. मनीश रंजन के मधुर व्यवहार के बाद ग्रामीण पिघले और बंधक बनाए गए पुलिस बल को मुक्त किया गया।  

जानकारी के मुताबिक, झारखंड के खूंटी जिले के अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित कुजराम सिलादोन में ग्रामीणों ने गुरुवार को एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा, एसडीपीओ (डीएसपी) रणवीर सिंह, एसडीओ, सीओ, सीआइ सहित 80 पुलिसकर्मियों को बंधक बना लिया गया। अधिकारियों को घेरने के बाद आसपास के गांवों से हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने गांव तक पहुंचने वाले रास्ते को बोल्डर, लकड़ी आदि से घेर दिया, जिसके कारण उनके पास तक बाहर से पुलिस-प्रशासन के कोई भी अधिकारी या जवान नहीं पहुंच पा रहे थे।

रात करीब एक बजे तक खूंटी के डीसी डा. मनीष रंजन ग्रामीणों के घेरे से बाहर थे और मुंडा समाज के प्रबुद्ध लोगों से दूरभाष पर बातचीत कर रहे थे। ग्रामीणों की संख्या ढाई से तीन हजार के आसपास होने की आशंका जताई गई है। हालांकि, डीसी के अनुसार करीब 500 की संख्या में ग्रामीणों ने अधिकारियों की घेराबंदी कर रखी थी। हंगामा बढ़ने के बाद पुलिस ने कुछ राउंड हवाई फायरिंग की, जिससे बवाल और बढ़ गया। देर रात रांची रेंज के डीआइजी अमोल वी. होमकर ने बताया कि खूंटी पुलिस की गश्त टीम ग्रामीणों के बैरियर को हटाने गई थी, जिसके बाद विवाद हुआ।

सूचना है कि सीएनटी/एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध को लेकर खूंटी के कुजराम, सिलादोन, भंडरा, लांदुप व तिरला आदि पंचायतों में आदिवासियों की सभा होती रही है। इसी क्रम में ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन के गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके लिए एक बैरियर बना दिया। ग्रामीणों ने तय किया था कि अगर किसी को गांव में जाना है तो ग्राम सभा की अनुमति के बाद ही वहां जाया जा सकेगा।

एक-एक कर फंसते गए अधिकारी
खूंटी पुलिस की गश्त पार्टी व एसडीपीओ रणवीर सिंह के फंसने के बाद रात करीब दस बजे एसपी खूंटी अश्विनी कुमार सिन्हा भी गांव में पहुंच गए और वे भी ग्रामीणों के चंगुल में फंस गए। तभी एसडीओ व अन्य अधिकारी भी पहुंच गए और ग्रामीण उन्हें भी बंधक बना लिए।

इन अधिकारियों को बनाया बंधक
एसपी खूंटी अश्विनी कुमार सिन्हा, एसडीपीओ खूंटी रणवीर सिंह, एसडीओ खूटी प्रणब कुमार पाल, कार्यपालक दंडाधिकारी रवींद्र गगरई व मेघनाथ उरांव, सीओ विजय कुमार, थाना प्रभारी खूटी इंस्पेक्टर अहमद अली, एएसआइ जुमराती अंसारी। घटना की गंभीरता को देखते हुए रांची रेंज के डीआइजी अमोल वी. होमकर व एसएसपी कुलदीप द्विवेदी सहित कई वरीय अधिकारी खूंटी रवाना हो गए हैं। सूचना है कि रांची से भारी संख्या में सशस्त्र बल के जवान घटनास्थल की ओर कूच कर गए हैं।

इसलिए हुआ बवाल
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध के समय से ही इस इलाके में ग्रामीण मुखर होकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। सितंबर 2016 में ग्रामीणों ने भंडरा में एक बड़ी बैठक की थी, इसमें तय हुआ था कि इस इलाके में सरकार की किसी भी योजना का संचालन नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं लिया जाएगा।

ग्रामीण मांग करते रहे हैं कि संविधान की धाराओं के अनुसार ग्राम सभा को ही यहां सबसे अहम माना जाए और उन्हें स्वायत्तता मिले। जिला प्रशासन और पुलिस ने कई बार मामले को सुलझाने के लिए बैठक की लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अभी पिछले दिनों भंडराहाट में फिर एक बड़ी बैठक हुई और तय किया गया कि इलाके में पुलिस व प्रशासन के प्रवेश पर पाबंदी जारी रहेगी। इसे लेकर ग्रामीणों ने बैरियर लगा दिया था जिसे हटाए जाने पर बवाल शुरू हुआ।

खूंटी थाना क्षेत्र की मुरही पंचायत के कांकी गांव में गुरुवार शाम छह बजे ग्रामीणों द्वारा बंधक बनाए गए एसपी-डीएसपी समेत अन्‍य अधिकारी शुक्रवार की सुबह लगभग आठ बजे यानी 14 घंटे बाद मुक्त कर दिया गया। शुक्रवार की सुबह लगभग 7.45 बजे डीआइजी अमोल वेणुकांत और उपायुक्त डॉ. मनीश रंजन दल-बल के साथ गांव पहुंचे और अधिकारियों को बंधक बनाए ग्रामीणों से बात की। बातचीत के दौरान दोनों अधिकारियों ने लोगों को समझाया कि बातचीत से ही समस्या सुलझ सकती है, जो भी समस्या हो उसे सीधे बताएं। उसका समाधान किया जाएगा। उपायुक्त ने मुंडारी में अपनी बात शुरू की। इससे ग्रामीण प्रभावित हुए।

अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार से परेशान नहीं करने, हर सुख-दुख में साथ देने और मदद करने की बात कहे जाने पर ग्रामीणों ने एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा, एसडीओ प्रणब कुमार पाल, एसडीपीओ रणवीर सिंह, कार्यपालक दंडाधिकारी रविंद्र गगरई, थानाप्रभारी अहमद अली और अन्य पुलिसकर्मियों को मुक्त कर दिया।

पुलिस ने फायरिंग की तो बंधक बना लिया
अधिकारियों को मुक्त करने के बाद गांव के मैदान में ग्रामीणों की बैठक हुई। इसमें एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों ने भाग लिया। ग्रामीणों ने कहा कि हम लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए गांवों में बैरियर लगाए थे। सुरक्षा के लिहाज से हम लोग रात भर पहरेदारी करते थे। ताकि, अवांक्षित तत्व गांव में प्रवेश न कर सकें। बैरियर लगाने का मतलब प्रशासन को रोकना नहीं था। गुरुवार की शाम में एसडीपीओ के नेतृत्व में पुलिस पहुंची थी और जबरन बैरियर हटाने की बात कह रही थी।

ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने आते ही बैरियर हटाने के दौरान अपशब्दों का प्रयोग किया और पहरा दे रहे एक ग्रामीण के साथ मारपीट भी की। इससे गांव के लोग आक्रोशित हो गए और पुलिस पदाधिकारियों को अपने घेरे में ले लिया। ग्रामीणों के अनुसार पुलिस ने हवा में छह-सात चक्र गोलियां भी चलाई। हालांकि, किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। रात भर ग्रामीणों को मनाने और उनसे बात करने का प्रयास किया गया था, जो सफल नहीं हुआ।

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