PHD संबंधी जानकारी सार्वजनिक करने से इंकार नहीं कर सकते विश्वविद्यालय

भोपाल। सूचना के अधिकार के तहत विश्वविद्यालयों को पीएचडी संबंधी चाही गई जानकारियां नागरिकों को देनी होंगी। पीएचडी से संबंधित जानकारी देने से यह कह कर इंकार नहीं किया जा सकता है कि यह जानकारी तृतीय पक्ष से संबंधित है। तृतीय पक्ष की असहमति मात्र पर भी यह जानकारी देने से मना नहीं किया जा सकता है। यह जानकारी विवि के अभिलेख का भाग है जो गोपनीय न होकर लोक दस्तावेज की श्रेणी में आती है। 

राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने यह फैसला सुनाते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी/कुल सचिव को आदेश दिया है कि आदिम जाति कल्याण विभाग, भोपाल के अतिरिक्त संचालक सुरेन्द्र सिंह भंडारी की पीएचडी से संबंधित जानकारियां अपीलार्थी अनिल शर्मा को निःशुल्क उपलब्ध कराएं। 

शर्मा की अपील पर सुनवाई के बाद पारित आदेश में आत्मदीप ने कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के तहत पीएचडी संबंधी सूचना सार्वजनिक किए जाने योग्य है। केवल तृतीय पक्ष की असहमति के आधार पर इसे देने से इंकार नहीं किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) भी सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित कर चुका है कि वे पीएचडी स्कालर्स के ब्योरे को एक निश्चित प्रोफार्मा में संधारित करें, उसे अपनी बेवसाइट पर अपलोड करें और उसका लिंक यूजीसी को भेजें। यदि विवि ऐसा करने से परहेज करते हैं तो यूजीसी संबंधितों की सूची अपनी बेवसाईट पर डाल देगा। पीएचडी का नोटिफिकेशन भी आम सूचना हेतु जारी किया जाता है और नोटिफिकेशन विवि की वेबसाईट पर भी डाले जाते हैं। 

सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी/रजिस्ट्रार के साथ विश्वविद्यालय के अपीलीय अधिकारी/कुलपति का वह आदेश भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि लोक सूचना अधिकारी अपीलार्थी को सूचित कर चुके हैं कि चाही गई जानकारी तृतीय पक्ष से संबंधित है और सूचना के अधिकार के तहत ऐसी जानकारी तृतीय पक्ष की सहमति के बिना दिया जाना संभव नहीं है। 

आत्मदीप ने आदेश में कहा कि तृतीय पक्ष से संबंधित जानकारी के मामले में धारा 11 के तहत तृतीय पक्ष को सूचित कर उसकी सहमति/असहमति ली जानी चाहिए। किन्तु इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी किए बिना सीधे जानकारी देने से इंकार कर दिया गया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि लोक सूचना अधिकारी सिर्फ इस आधार पर भी जानकारी देने से मना नहीं कर सकते कि तृतीय पक्ष उससे संबंधित जानकारी का प्रकटन करने से असहमत है। ऐसी असहमति प्राप्त होने पर लोक सूचना अधिकारी को न्यायिक विवेक से निर्णय करना चाहिए कि तृतीय पक्ष से संबंधित वांछित जानकारी लोकहित में प्रकटन किए जाने योग्य है या नहीं। लोकहित में होने पर तृतीय पक्ष की असहमति के बावजूद जानकारी दी जानी चाहिए।

यह है मामला: 
अपीलार्थी के अनुसार उन्होने 2015 में सुरेन्द्र सिंह भंडारी के पीएचडी करने से संबंधित 6 बिंदुओं की जानकारी चाही थी। जिसे देने से विवि के कुलपति व कुल सचिव ने यह कह कर इंकार कर दिया कि जानकारी तृतीय पक्षीय है जो संबंधित की सहमति के बिना नहीं दी जा सकती है। किन्तु आयोग के आदेष के पालन में विवि ने उन्हे वांछित जानकारी दे दी है जिससे पीएचडी करने के संबंध में की गई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इसे लेकर वे उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर भंडारी की पीएचडी की उपाधि रद्द करने की मांग करेंगे। 

अपीलार्थी ने सूचना आयोग में दायर अपील में कहा था कि भंडारी को अवैध रूप से पीएचडी की उपाधि दी गई है। विवि के अध्यादेश 11 के तहत शोधार्थी के लिए रिसर्च गाइड के साथ न्यूनतम 200 दिन शोध केन्द्र पर उपस्थित रहकर शोध करना आवश्यक है। किन्तु इस मामले में शासकीय पीजी कालेज, मुरैना के शोध केन्द्र पर फर्जी उपस्थिति पंजी तैयार कर शोधार्थी की दो सौ दिन की उपस्थिति दिखा दी गई। जबकि विधानसभा में यह मामला उठने पर विधायक मुकेश सिंह चतुर्वेदी के प्रश्न के उत्तर में आदिम जाति कल्याण मंत्री ने दिनांक 09/12/16 को विधानसभा में जो जानकारी दी, उससे स्पष्ट है कि भोपाल में पदस्थ विभाग के अतिरिक्त संचालक भंडारी ने शोध काल के दौरान कुल 22 दिन की ही छुट्टी ली लेकिन शोध केन्द्र, मुरैना में उन्हे 200 दिन उपस्थित बता दिया गया। विवि के नियमानुसार न तो विभागीय अनुमति ली गई और न ही शोध केन्द्र पर उपस्थिति दी गई। इसके अलावा भंडारी को वर्ष 2011 में पीएचडी की डिग्री दी गई। जबकि पीएचडी के लिए नियमित छात्र के रूप में उनका नामांकन फरवरी 2017 में और पंजीयन अगस्त 2017 में हुआ। इस प्रकार विवि में एनरोलमेंट व रजिस्ट्रेशन कराने से पहले ही विधि विरूद्ध ढंग से पीएचडी कर ली गई।

आयोग के आदेश पर विवि द्वारा दी गई जानकारी में इस फर्जीवाडे़ से संबंधित सबूत मिले हैं जिन्हे लेकर अपीलार्थी अब हाईकोर्ट में गुहार लगाएंगे। 
अपीलार्थी अनिल शर्मा, ग्वालियर - मो. नं. 94251 11802
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!