
सरकार ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में वीसी एमडी तिवारी के कार्यकाल में हुई आर्थिक अनियमितताओं के चलते धारा 52 लगाने का निर्णय लिया है। कुलपति एमडी तिवारी हमेशा ही विवादों से घिरे रहे हैं। सरकार ने कुछ दिन पहले उन्हें हटाने का प्रस्ताव राजभवन भेजा था। इस मामले में कुलाधिपति ओपी कोहली कुछ निर्णय लेते, इससे पहले ही एमडी तिवारी ने इस्तीफा दे दिया। जिसे स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर को चार्ज दे दिया जाता, लेकिन सरकार रिस्क नहीं लेना चाह रही है, इसलिए धारा-52 लगाकार सारे अधिकार अपने हाथ में ले रही है।
दरअसल तीन साल पहले पदस्थ किए गए कुलपति मुरलीधर तिवारी पर नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा, बिना अनुमति के विदेश यात्रा, अपने कार्यालय में महिलाकर्मियों की नियुक्ति, अंतरराष्ट्रीय स्टेमसेल सेमिनार घोटाला, बाहरी व्यक्तियों को विश्वविद्यालय का आवास आवंटित करने, फर्जी नियुक्ति का मामला उजागर होने के बाद हटाए गए 10 शिक्षक और एक डिप्टी डायरेक्टर को अब तक विश्वविद्यालय में आने की अनुमति देना, परीक्षा और परिणामों में गड़बड़ियां, शैक्षणिक कैलेंडर का पालन नहीं करने, विभागाध्यक्षों पर गलत काम करने का दबाव, फार्मेसी, यूआईटी में अयोग्य व्यक्तियों को निदेशक नियुक्त करना, छुट्टियों के एडजेस्टमेंट में गड़बडियों जैसे तमाम आरोप हैं. वहीं यूजीसी के नियम के अनुसार 65 वर्ष से अधिक का व्यक्ति कुलपति नहीं बन सकता लेकिन बीयू कुलपति 72 साल से अधिक के हो चुके है।