घर में टॉयलेट ना होना महिलाओं के प्रति क्रूरता: कोर्ट

जयपुर। भारत में टॉयलेट अब मुद्दा बन गया है। सरकार टॉयलेट के लिए अभियान चला रही है तो इधर कोर्ट ने घर में टॉयलेट ना होना, महिलाओं के प्रति क्रूरता माना है। ऐसे ही एक विवाद में हाईकोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी क्योंकि घर में टॉयलेट नहीं था। मामला राजस्थान के भीलवाड़ा का है। जहां एक महिला ने घर में शौचालय न होने के कारण पति के खिलाफ कोर्ट जाकर तलाक की अर्जी दायर की है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर कहा कि ये महिला के प्रति क्रूरता है और सामाजिक कलंक है।

फैमिली कोर्ट ने घर में टायलेट नहीं होने को क्रूरता मानते हुए एक महिला की तलाक की याचिका मंजूर कर ली। वर्ष 2015 में कोर्ट में एक महिला ने याचिका लगाई थी कि उसका विवाह वर्ष 2011 में हुआ था। 

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने कहा कि घर में शौचालय न होने की वजह से महिलाओं को अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बहनों की गरिमा के लिए क्या हम एक शौचालय की भी व्यवस्था नहीं कर सकते? 21 वीं सदी में खुले में शौच की प्रथा हमारे समाज पर कलंक है। शराब, तंबाकू और मोबाइल पर बेहिसाब खर्च करने वाले लोगों के घरों में शौचालय न होना बड़ी विडबंना है। कोर्ट ने कहा कि घर में शौचालय और निजी कमरा न होने की वजह से महिला को मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है। 

यह है पूरा मामला
भीलवाड़ा के फैमिली कोर्ट एक महिला ने शिकायत की थी कि उसकी शादी 2011 में हुई थी लेकिन घर में कमरा और शौचालय तक नहीं था। 2015 तक हमने घरवालों को कहा कि आप शौचालय बनवा दें, बाहर जाने में शर्मिंदगी होती है मगर किसी ने नहीं सुनी। महिला ने ये शिकायत 2015 में की थी। दो साल से अपने पीहर (पिता का घर) में रह रही है और इसी आधार पर तलाक की अर्जी फैमिली कोर्ट में लगाई थी जिसे कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है।

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