नई दिल्ली। नवंबर-दिसंबर 2018 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे। यह लगभग तय हो गया है। कानून की किताबों को पलटकर देख लिया है। कहीं कोई समस्या नहीं है। लोकसभा के चुनाव 6 माह पहले कराए जा सकते हैं। इसके लिए संविधान संशोधन की जरूतर नहीं है। आयोग के पास अधिकार है कि वो यह कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एक बड़ा वर्ग चाहता है कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि इस राजनीतिक बदलाव को समझने के लिए लोकसभा के पूर्व सेक्रटरी जनरल सुभाष सी कश्यप और कई सचिवों की राय जानने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी यह कह चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार के कामकाज पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है।
मौजूदा नियमों के मुताबिक चुनाव तय समय से छह महीने पहले तक करवाए जा सकते हैं लेकिन सरकार इन नियमों की जांच कर चुकी है जिसके मुताबिक इनमें बदलाव के लिए संविधानस संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक, 'अगले लोकसभा चुनाव और उसके बाद छह महीनों में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को साथ करवाया जा सकता है। संविधान में ऐसा प्रावधान है कि तय समय से 6 महीने पहले तक चुनाव करवाए जा सकते हैं। यह काम चुनाव आयोग कर सकता है और इसके लिए किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी।