
माल की प्राप्ति, उसकी आपूर्ति का साफ-साफ रिकॉर्ड रखा जाना चाहिये। शुरू में कितना माल था, कितना प्राप्त हुआ, कितना आपूर्ति किया गया, कितना गुम हो गया, खराब हो गया, नष्ट कर दिया गया अथवा निशुल्क नमूनों के तौर पर दिया गया या फिर उपहार में दिया गया। उसका पूरा रिकॉर्ड होना चाहिये।
देश में सभी अप्रत्यक्ष करों की जगह जीएसटी की चार दरें (5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) तय की गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार कॉर्पोरट जगत के सीनियर अधिकारियों को मिलने वाले पर्क्स (अतिरिक्त लाभ) और गिफ्ट्स पर जीएसटी लग सकता है। कंपनियां इन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकतीं हैं। इन सभी खरीदारियों का ब्योरा जीएसटी नेटवर्क की वेबसाइट पर मौजूद रहेगा।
जीएसटी लागू होने से पहले ऐसी सुविधाओं और सेवाओं पर कंपनियों को केवल 12-14 प्रतिशट वैट देना होता था लेकिन अब उन्हें 29-43 प्रतिशट टैक्स देना होगा। इसके अलावा कंपनियों के लिए सीनियर अधिकारियों को दिए जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं और उपहारों का हिसाब भी रखना होगा।