
नहीं झाड़ पा रहे पल्ला
सबसे खास बात यह है कि संबंधित प्रोजक्ट का पैसा एग्रीमेंट में दर्शाए गए प्रोजक्ट पर ही लग रहा है यह सुनिश्चित करना भी बैंक और रेरा अफसरों सहित बिल्डर्स की जिम्मेदारी है। जिससे उनके पास कैपिटल में कमी आ गई है। उस पर से मुसीबत यह है कि पांच साल तक स्ट्रक्चर में कोई भी डिफेक्ट आने पर उसकी जवाबदारी बिल्डर को ही उठाना है। चूंकि रजिस्टर्ड प्रोजक्ट की पूरी जानकारी अथॉरिटी के पास होगी इसलिए खरीददार को कब्जा देने के बाद भी बिल्डर पल्ला नहीं झाड़ पा रहे।
जबलपुर में भी शुरु कार्रवाई
बता दें कि प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर,भोपाल आदि शहरों के बाद जबलपुर में भी रेरा को लेकर कार्रवाई शुरु हो चुकी है। इसके चलते जबलपुर में भी बिल्डर्स को अनिवार्य रुप से रजिस्ट्रेशन कराने कहा जा चुका है। इस संबंध में कलेक्टर सहित जिला पंजीयक कार्यालय और नगर-निगम द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। इसके पहले रेरा द्वारा यहां बिल्डर्स की वर्कशॉप का आयोजन कर उन्हें सभी जरुरी जानकारियां दी जा चुकी हैं।