इंदौर। सौतेली मां ने लालन-पालन नहीं किया है। पति की मौत के बाद उसे सौतेले बेटे से भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ कुटुम्ब न्यायालय ने महिला का अंतरिम भरण पोषण दिलाने का आवेदन खारिज कर दिया। मामला मूसाखेड़ी क्षेत्र में केबल और टेंट का व्यवसाय करने वाले राजेश जायसवाल का है। राजेश की सौतेली मां देवका बाई ने उसके खिलाफ धारा 125 के तहत भरण पोषण दिलाने के लिए कुटुम्ब न्यायालय में केस दायर किया था। इसमें कहा गया कि पति की मौत के बाद उनके पास जीवन यापन का कोई साधन नहीं है। सौतेले बेटे राजेश को पति की संपत्ति मिली है। इसलिए उन्हें सौतेले बेटे से भरण पोषण दिलवाया जाए।
अंतरिम भरण पोषण के लिए प्रस्तुत एक अन्य आवेदन भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। यह आवेदन पलसीकर कॉलोनी निवासी कृषि उपकरणों के व्यवसायी संतोष की पत्नी जयश्री ने प्रस्तुत किया था। जयश्री एक कॉलेज में पढ़ाती है। इससे उसे 13 हजार रुपए महीने की कमाई होती है।
उसने यह कहते हुए आवेदन दिया था कि यह रकम उसके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। उसे पति से अतिरिक्त राशि दिलाई जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि पत्नी उच्च शिक्षित है और कमाने में सक्षम है। उसे पति से अंतरिम भरण पोषण पाने का अधिकार नहीं है।