रवि शास्त्री की मनचाही टीम तैयार, क्या भारत को वर्ल्डकप दिला पाएगी

नई दिल्ली। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने अपनी पसंद का हेडकोच चुन लिया है। रवि शास्त्री ने भी मनचाहे सहायकों को चुनने के लिए बीसीसीआई की प्रतिष्ठा तक पर दाग लगा दिया। अब रवि शास्त्री की मनचाही टीम तैयार है। आइए जानते हैं, किसमे कितना है दम और फिर अनुमान लगाते हैं कि क्या रवि शास्त्री की मनचाही टीम तैयार भारत को वर्ल्डकप दिला पाएगी, जो 2019 में आ रहा है। आइए पढ़ते हैं दिल्ली के पत्रकार श्री शिवम् अवस्थी की यह रिपोर्ट: 

रवि शास्त्री (मुख्य कोच)
अनिल कुंबले टीम इंडिया के कोच बने और एक साल में उनकी विदाई हो गई। नए कोच के लिए तमाम आवेदन आए लेकिन अंत में चयन उसी खिलाड़ी का हुआ जो टीम निदेशक के तौर पर कप्तान विराट कोहली के साथ मजबूत रिश्ता बना चुका था। कैप्टन की राय का सम्मान हुआ और 55 वर्षीय रवि शास्त्री कोच बन गए। क्रिकेटर, कमेंटेटर, विशेषज्ञ, सलाहकार, टीम निदेशक..ऐसी तमाम भूमिकाओं से गुजरते हुए तकरीबन पिछले 40 सालों से शास्त्री क्रिकेट से जुड़े रहे हैं। मौजूदा टीम के खिलाड़ी उनका सम्मान करते हैं, टीम निदेशक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान टीम इंडिया का प्रदर्शन अच्छा ही रहा, जिसमें दो विश्व कप सेमीफाइनल (वनडे व टी20), एशिया कप का खिताब और श्रीलंका व दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जीत कुछ खास सफलताएं रहीं। शास्त्री इस टीम के साथ जुड़े रहे हैं और अगले विश्व कप के लिए टीम को कैसे आगे बढ़ाना है ये मुश्किल नहीं होगा। बस चिंता इस बात की है कि उनके आजादी देने के फॉर्मूले का कुछ खिलाड़ी गलत फायदा न उठाएं।

संजय बांगड़ (सहायक व बल्लेबाजी कोच)
2001 से 2004 के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके महाराष्ट्र के इस 44 वर्षीय ऑलराउंडर ने 12 टेस्ट और 15 वनडे खेले लेकिन उनका अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा नहीं चल सका। वो प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 165 मैचों में तकरीबन 8500 रन बना चुके हैं जिसके जरिए उनका क्रिकेट से जुड़ाव लगातार रहा। बांगड़ को 2010 में आइपीएल टीम कोच्चि टस्कर्स के कोचिंग स्टाफ के साथ जुड़ने का मौका मिला और 2014 में बड़ा मौका तब आया जब वो किंग्स इलेवन पंजाब के सहायक कोच बन गए और बाद में मुख्य कोच। आइपीएल में उनकी कोचिंग की शुरुआत अच्छी देखते हुए उसी साल अगस्त में उन्हें भारतीय टीम का बल्लेबाजी कोच बना दिया गया। इसके बाद 2016 में जिंबाब्वे दौरे पर वो टीम के मुख्य कोच भी रहे। फिर कोच कुंबले की एंट्री हुई और बांगड़ फिर से बैटिंग कोच की भूमिका में आ गए। तब से लेकर अब तक विराट कोहली समेत तमाम अन्य भारतीय क्रिकेटरों ने बांगड़ को अपनी बल्लेबाजी में सुधार का श्रेय दिया। टीम के साथ पिछले कुछ सालों में अच्छा काम करने के चलते अगले विश्व कप में तैयारी के लिए उन्हें ज्यादा शुरुआती मेहनत की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्रिकेट एक्सपर्ट विनोद रवि पांडे कहते हैं, 'बांगड़ को आइपीएल के जरिए अच्छा मंच मिल चुका है और अब वो खिलाड़ियों के बीच अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। विश्व कप की तैयारी के लिए ये उनके फायदे में काम करेगा।'

भरत अरुण (बॉलिंग कोच)
दो टेस्ट, चार वनडे और 48 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच। यही रहा है खिलाड़ी के तौर पर 54 वर्षीय भरत अरुण का क्रिकेट करियर। मुख्य कोच रवि शास्त्री ने बॉलिंग सलाहकार के रूप में जहीर खान के नाम की घोषणा होने के तुरंत बाद साफ कर दिया था कि वो भरत अरुण को ही गेंदबाजी कोच के रूप में अपने साथ चाहते हैं। तमाम सवाल उठे, हल्ला मचा लेकिन अंत में मंगलवार को बीसीसीआइ को शास्त्री की मर्जी पर आधिकारिक मुहर लगानी ही पड़ी। भरत अरुण का कोचिंग करियर 2002 में तमिलनाडु क्रिकेट टीम का साथ शुरू हो गया था। वो चार साल तक उस टीम से जुड़े रहे जिस दौरान दो बार वो टीम रणजी ट्रॉफी फाइनल तक पहुंची। फिर 2008 में एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) से जुड़े, इंडिया-ए टीम से जुड़े लेकिन बड़ा मोड़ आया जब उन्हें अंडर-19 भारतीय टीम का कोच बनाया गया। उस युवा टीम ने उनकी कोचिंग में लगातार आठ सीरीज जीतीं और 2012 अंडर-19 विश्व कप भी जीता। बांगड़ के साथ 2014 में वो आइपीएल की पंजाब टीम के गेंदबाजी कोच बने और उसी साल टीम निदेशक शास्त्री ने उन्हें भारतीय टीम के सपोर्ट स्टाफ में एंट्री दिला दी। वो कई मौजूदा भारतीय गेंदबाजों के साथ काम कर चुके हैं, उनका विश्वास जीत चुके हैं और अगले विश्व कप के लिए शास्त्री की मौजूदगी में उनका काम और बेहतर होता दिख सकता है।

रामकृष्ण श्रीधर (फील्डिंग कोच)
मैसूर (कर्नाकट) के 47 वर्षीय श्रीधर को कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला। घरेल क्रिकेट में भी उनका करियर 35 मैचों तक ही सीमित रहा। वो रवि शास्त्री के इस सपोर्ट स्टाफ के उन चेहरों में हैं जिन्होंने कोचिंग की पूरी ट्रेनिंग लेते हुए 2007 में इसका प्रमाणपत्र भी हासिल किया है। वो 2007 से 2011 के बीच हैदराबाद की जूनियर टीमों के कोच रहे और फिर बेंगलुरू में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से जुड़ गए। उसी दौरान 2011 में उन्हें भारतीय अंडर-19 टीम का फील्डिंग कोच बना दिया गया। फिर आइपीएल 2014 में बांगड़ और भरत अरुण की तरह वो भी पंजाब की टीम से जुड़ गए। इसके बाद दो साल के लिए आंध्र क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रहे और उसी साल अगस्त में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले उनको बीसीसीआइ ने भारतीय क्रिकेट टीम का फील्डिंग कोच बना दिया। कुछ अच्छे नतीजों के बाद बोर्ड ने उनको बरकरार रखने का फैसला लिया जिस दौरान रवि शास्त्री से भी उनका तालमेल अच्छा रहा। अब तैयारी 2019 विश्व कप की है और भारतीय टीम में कई युवा खिलाड़ी मौजूद हैं जिनकी फील्डिंग जबरदस्त है, ऐसे में श्रीधर को बस थोड़ी मेहनत की जरूरत होगी कि बड़े टूर्नामेंट में अहम समय पर युवा खिलाड़ियों की फील्डिंग न लड़खड़ाए। क्रिकेट विशेषज्ञ व खेल पत्रकार विभोर शुक्ला के मुताबिक, 'फील्डिंग कोच एक ऐसा पद है जिसकी शुरुआत कुछ ही समय पहले हुई है। टीमें इन्हें फिटनेस एक्सपर्ट के रूप में भी देखती हैं। श्रीधर ने इससे पहले अच्छा काम किया है लेकिन विश्व कप जैसे टूर्नामेंट के लिए उन्हें और कड़ी मेहनत करनी होगी।'

'स्टार' सहायक कोचों पर असमंजस
इसके अलावा पूर्व महान बल्लेबाज राहुल द्रविड़ और पूर्व दिग्गज गेंदबाज जहीर खान के भी टीम इंडिया के साथ जुड़ने का शुरुआती एलान हुआ था लेकिन अब ये कहानी थोड़ी उलझ गई है। पहले जहीर का नाम गेंदबाजी कोच के रूप में और द्रविड़ का नाम विदेशी दौरों पर बल्लेबाजी कोच के तौर पर सामने आया, फिर कुछ ही समय में जानकारी स्पष्ट हुई कि ये सलाहकार कोच होंगे। अब हर मामले में शास्त्री के लगातार दखल के बाद ये आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं कि साल के कुछ दिन ये दोनों टीम इंडिया को देंगे। अगर 2019 विश्व कप के करीब भारतीय टीम को इन दोनों का साथ मिल सका तो ये विराट सेना की तैयारी में किसी बोनस से कम नहीं होगा।

'टीम शास्त्री' की सोच में एक खास बात
रवि शास्त्री और उनकी इस कोचिंग टीम के सभी चेहरे एक बात को लेकर समान हैं। ये चीज है खिलाड़ियों के साथ रिश्ते। इन चारों ने ही भारतीय टीम के खिलाड़ियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर रखे। सभी खिलाड़ी इनकी तारीफ करते रहे, कभी दखलअंदाजी को लेकर बयानबाजी वाली नौबत नहीं आई और बोर्ड के हस्तक्षेप की जरूरत महसूस नहीं हुई। यही एक बड़ी वजह है कि ये चारों आज एक बार फिर साथ मौजूद हैं। टीम इंडिया के सभी खिलाड़ियों और खासतौर पर कप्तान कोहली द्वारा कोच चयन के दौरान शास्त्री को लेकर अड़े रहने की भी यही वजह थी।
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