बीहड़ों में कूदा डाकू तहसीलदार सिंह, इलाके में दहशत, पुलिस मौन

मुरैना। जेल से छूटकर आया डाकू तहसीलदार सिंह फिर से चंबल के बीहड़ों में कूद गया है। उसने हथियार भी हासिल कर लिए हैं और गिरोह के सदस्यों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। गिरोह का खर्चा चलाने के लिए उसने ग्रामीण इलाकों में रंगदारी के लिए खुली फायरिंग करना शुरू कर दिया है, बावजूद इसके पुलिस मौन है। शायद वो चंबल में डाकुओं को फिर से पनपने का इंतजार कर रही है। बता दें कि डाकुओं से आम जनता को बचाने के लिए पुलिस विभाग के अधिकारियों को विशेष अधिकार और विशेष बजट प्राप्त होता है। मजेदार तो यह है कि इस बजट का आॅडिट भी नहीं होता। 

दरअसल, 15 हजार के इनामी डकैत के रूप में पहचाने जाने वाले तहसीलदार सिंह पवैया ने पोरसा इलाके में फिर दस्तक दे दी है। वह अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देकर आमजन में दहशत पैदा करने में लगा है। कुछ महीने पहले ही जेल से रिहा होकर आये तहसीलदार ने हथियारों के दम पर आतंक फैलाकर लोगों से वसूली का काम शुरू कर दिया है। लेकिन इस मामले को पुलिस मानने से इनकार कर रही है।

पोरसा थाना क्षेत्र के गढ़ीया गांव में अपने मामा के यहां रहने वाले शातिर अपराधी और इलाके में अपनी पहचान डकैत के रूप में बनाने वाले तहसीलदार सिंह पवैया ने फिर हथियार जुटाकर अपनी गैंग खड़ी करनी शुरू कर दी है। अभी हाल ही में उसने गढ़ीया पोरसा के सरपंच के घर फायरिंग कर 50 हजार की रंगदारी मांगते हुए नहीं देने पर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी भी दी है।

इससे पहले भी पवैया ने सरपंच के आधिपत्य वाले खेत पर कब्जा कर लिया है। जिसकी शिकायत कई बार पुलिस को की लेकिन पुलिस ने इसे गंम्भीरता से नहीं लिया। गढ़ीया पोरसा में तहसीलदार की ये कोई एक वारदात नहीं है। उसने अन्य परिवारों के यहां भी फायरिंग कर जान से मारने की धमकी दी और रंगदारी की मांगी है। जिसकी शिकायत पोरसा थाना पुलिस ने दर्ज भी की है। पुलिस ने तहसीलदार के विरुद्ध धारा 323, 34, और 336 के तहत मामला दर्ज किया है।

डाकू तहसीलदार सिंह को शरण दे रही है पुलिस ?
यदि डकैत द्वारा फायरिंग कर जान से मारने की धमकी दी गई, तो उसके पास हथियार होना स्वभाविक है। फिर पुलिस ने आर्म्स एक्ट की धाराएं क्यों नहीं दर्ज की। वहीं सिर्फ एक की फरियाद पर मामला दर्ज किया है, जबकि सरपंच की जमीन पर कब्जा करने और 50 हजार की चैथ वसूली नहीं देने पर जान से मारने की धमकी देने और घर पर गोलीबारी करने जैसे गम्भीर मामले की कोई सुनवाई नहीं की। डकैत उन्मूलन एक्ट का उपयोग भी इस एफआईआर में नहीं किया गया। खास बात तो यह है कि थाना इकाई से लेकर पुलिस अधीक्षक तक कोई भी मामला दर्ज नहीं करने का कारण बताने के लिए तैयार नहीं है। अगर पुलिस का यही हाल रहा तो जल्द ही चंबल में एक डकैत गिरोह भयानक रूप धारण कर लेगा।
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