राशि के अनुसार जानिए विवाह किस आयु में होगा | ASTRO

वर्तमान समय की आपाधापी मे विवाह सम्बन्ध का रूप बदल चुका है। पहले जैसे आसानी से अब विवाह सम्बंध नही हो रहे। आजकल वर वधू शादी के पहले ही विवाह के पश्चात की जिंदगी के विषय मे पूरा सोच विचार करते हैं। आजकल हर व्यक्ति अपने विवाह के पश्चात आने वाली समस्याओं से निपटने की पूर्ण तैयारी करता है। चाहे समस्या मानसिक हो या आर्थिक आप यूं कह सकते है की बड़ों के कहने पर बिना विचारे शादी सम्बंधों के आकार लेने का समय अब गया। इसीलिये आजकल शादिया थोड़ी देरी से हो रही है। आइये देखते है सभी राशि के ग्रहयोग जिनसे उस राशि के जातक की विवाह की आयु निर्धारित की जा सके।

*मेष*-इस राशि की पत्रिका मे सातवें भाव का स्वामी शुक्र होता है यदि जातक मंगलीं न हो या शनि की दृष्टि सातवें स्थान मे न पड़े तो 25 से 26 वर्ष की आयु मे विवाह सम्बन्ध ही जाना चाहिये।
*वृषभ*-इस राशि के लिये सातवें स्थान का स्वामी मंगल होता है शनि मंगल का दुष्प्रभाव न हो तो 25 से 28 के बीच मे विवाह सम्बंध होना चाहिये।
*मिथुन*-सातवें स्थान का स्वामी गुरु होता है शनि मंगल का अवरोध न हो तो 24 -25 तक विवाह हो जाना चाहिये।
*कर्क*-इस पत्रिका मे धीरे चलने वाले शनि महाराज सातवें स्थान के स्वामी होते है 25 से 28 तक शादी सामान्य स्थिति मे हो सकती है।यदि शनि मंगल का दुष्प्रभाव हो तो 30की आयु भी हो सकती है।
*सिंह*इस राशि मे भी सातवें स्थान का स्वामी शनि होने के कारण सामान्यतः विवाह सम्बन्ध थोड़ा समय लेता है 28से 30 की आयु तक भी विवाह होता है।
*कन्या*-सातवें स्थान का स्वामी गुरु होने से त्वरित विवाह सम्पन्न होता है। 22 से 26 की आयु मे विवाह सम्पन्न हो जाता है।
*तुला*सातवें स्थान का स्वामी मंगल होने से विवाह सम्बंध 25 से 28 तक जाता है।
*वृश्चिक*-सातवें स्थान का स्वामी शुक्र होने से 24 से 26 के मध्य विवाह सम्पन्न होता है।
*धनु*-सप्तम भाव मे नपुंसक ग्रह बुध होने से विवाह 22 से 26 के बीच होने का योग बनता है।बुध ग्रह के अशुभ होने पर विवाह सम्बंधों मे देरी आती है।
*मकर*-सप्तम भाव मे शीघ्रगामी ग्रह चंद्र होने से 22 से 24 के बीच शादी का योग बनता है।
*कुम्भ*सप्तम भाव मे क्रूर ग्रह सूर्य के होने से 25 से 28 तक शादी का योग बनता है।
*मीन*-सप्तम भाव मे बुध की उच्च राशि होने के कारण 23 से 26 तक विवाह सम्बंध का योग बनता है।
*उपरोक्त विवाह आयु सप्तम तथा बारहवें स्थान मे अशुभ ग्रह न होने की दशा मे है इन्ही स्थान मे राहु केतु शनि मंगल की दृष्टि तथा बैठक होने पर शादी मे कही कम तो कही ज्यादा विलम्ब आता है।उपरोक्त ग्रहों की पूजा पाठ दान व शांति से विवाह मे आने वाले विलम्ब दूर होते है।
प.चंद्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931
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