शिवराज सरकार ने किया प्याज और दालों के नाम पर करोड़ों का घोटाला: कमलनाथ

भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद कमलनाथ ने आज जारी एक बयान में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर किसानो के नाम पर बड़े घोटालों का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले प्याज़ के नाम पर और अब दालों के समर्थन मूल्य में ख़रीदने के नाम पर बड़ा खेल, प्रदेश में खेला जा रहा है। नाथ ने बताया कि कांग्रेस की पूर्व की केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल में खेती के मामले में सदैव आत्मनिर्भरता की नीति को बढावा दिया लेकिन वर्तमान मोदी सरकार ने आत्मनिर्भरता की नीति छोड़, आयात को बढावा दिया। 

पहले इम्पोर्ट ड्यूटी कम की व बाद में पूरी ख़त्म कर दी। इससे किसानों को बढ़े समर्थन मूल्य का फ़ायदा तो नहीं मिला अपितु आयात ड्यूटी ख़त्म करने के निर्णय से उसकी कमर टूट गयी। मोदी सरकार खेती की आउट्सोर्स को भी बढ़ावा दे रही है। इसको लेकर पाँच वर्ष में 3 लाख टन दाल आयात का मोज़ाम्बिक देश से उसका समझौता भी हुआ है और कई देशों से इसी तरह के समझौते के प्रयास में है। 

इन नीतियों व पूर्व से नोटबंदी के निर्णयों से परेशान किसान जब प्रदेश में आंदोलन करने उतरा, तो शिवराज सरकार ने 5050 रु. समर्थन मूल्य पर तूअर, 5000 रु. पर उड़द और 5225 रु. में मूँग दाल समर्थन मूल्य पर 10 जून से ख़रीदने की घोषणा कर दी। वेसे तो यह फ़ैसला किसानो के हित के नाम पर लिया गया लेकिन इसकी आड़ में ख़रीदी केंद्रो के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से बढ़े -बढ़े खेल रचे गये। 

भाजपा समर्थित व्यापारियों का पुराना व रिजेक्टेड स्टॉक किसानों के नाम पर ठिकाने लगा दिया गया। खेती लाभ का धंधा किसानों के लिये तो नहीं बन पायी लेकिन इन भाजपा समर्थित व्यापारियों के लिये ज़रूर बन गयी। किसानो से कृषि उत्पाद सस्ता ख़रीदकर, सरकार को समर्थन मूल्य पर टिका दिये गये। 

आश्चर्यजनक रूप से 1300 करोड़ की औसत उत्पादन से ज़्यादा दाल चंद दिनो में ही ख़रीद ली गयी। कई जिलो में ख़राब दाले ख़रीदने के व बोगस किसानो के नाम पर ख़रीदी के मामले दिन-प्रतिदिन सामने आ रहे है। पिपरिया में शासकीय बोरो में भरी मूँग की छानन एक घर से बढ़ी मात्रा में पकड़ाई तो नरसिंहपुर में बोगस किसानो के नाम पर 17 करोड़ से अधिक की दाल ख़रीदी का मामला सामने आया। कई जिलो में रीजेक्टेड व घुनी अरहर व घटिया क़िस्म की मूँग बड़ी मात्रा में बिकने के लिये आने के मामले सामने आये। कई जिलो में बग़ैर दस्तावेज़ी प्रमाण के दालों की जमकर ख़रीदी की गयी। कई जगहों पर बिना इजाज़त व अनुमति के गोदामों में दाल रखवा दी गयी। 

सबसे ज़्यादा गड़बड़ी के मामले नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा जिलो में सामने आये। धीरे-धीरे पूरा प्रदेश इस घोटाले की जद में आता दिख रहा है। कृषि विभाग के प्रमुख सचिव भी दाल ख़रीदी के नाम पर हुई गड़बड़ झाला को स्वीकार चुके है व जाँच कराने की बात कह चुके है। 

भारी धाँधली समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के नाम पर की गयी
यदि ईमानदारी से उत्पादन के रकबे से लेकर, कुल ख़रीदी की, भुगतान की, पैसा किसके खाते में कितना गया, दस्तावेज़ी प्रमाण से लेकर, क्वालिटी की, भंडारण की, किसानों के नामों की, जाँच हो तो करोड़ों का बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

पूर्व में 8 रु. किलो में प्याज़ ख़रीदने के नाम पर भी बढ़े खेल खेले गये। जिसके मामले भी रोज़ प्रदेश्वासियो के सामने आ रहे हैं। शिवराज सरकार किसानो के नाम पर करोड़ों के घोटाले व खेल को अंजाम दे रही है। किसान तो बेचारा क़र्ज़ के बोझ में दबता जा रहा है। आत्महत्या को मजबूर है। वही उसकी आड़ में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। किसान बेख़बर है। उसके लिये बनायी योजनाओं व निर्णयों का उसे तो कोई फ़ायदा नहीं मिल रहा है परंतु उसकी आड़ में प्रदेश में लंबा खेल चल रहा है। किसानो के बीच शिवराज सरकार के इस खेल व भ्रष्टाचार की पोल कांग्रेस खोलेगी।

यदि शिवराज सरकार ईमानदार है तो प्याज़ ख़रीदी व दालों की ख़रीदी में आये सारे गड़बड़ी के मामलों की उच्चस्तरीय जाँच करवाने की घोषणा उसे तुरंत करना चाहिये वरना कांग्रेस सरकार आने पर इन सभी मामलों की निष्पक्ष जाँच करवायी जायेगी व दोषियों को दंड दिलवाया जायेगा।कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार को भी इस सारे मामले व खेल की सप्रमाण जानकारी भेजकर, उनसे भी जाँच के लिये एक विशेष दल मध्यप्रदेश भेजने की माँग करेगी।

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