बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार (26 जुलाई) शाम को अपने पद से इस्तीफा दिया और 27 को नई सरकार बना ली। लोग माजरा समझ भी नहीं पाए और बिहार में सरकार बदल गई। सबकुछ ऐसे हुआ जैसे फिक्स था। सभी किरदारों को पता था कि किसका रोल कब शुरू होने वाला है। कहा जा रहा है कि इस ब्लॉक बस्टर पॉलिटिकल ड्रामे की स्क्रिप्ट दिल्ली में लिखी गई थी। प्ले पटना में हुआ। बीजेपी और जेडीयू के कुछ सीनियर लीडर्स इसके सूत्र संचालक हैं। ज्यादातर राजनीतिक समीक्षकों को भी इसका आभास था। दरअसल, 6 माह पहले ही नीतीश ने मोदी को प्रपोज कर दिया था। मोदी ने भी एक्सेप्ट कर लिया था। फिर दोनों के बीच छुप छुपकर बातें होतीं रहीं। इस दौरान कई बार लालू को भड़काने वाले कदम भी उठाए गए लेकिन लालू ने संयम से काम लिया। इसलिए इस ड्रामे को प्ले करने में थोड़ा वक्त निकला। नहीं तो राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही यह खेल पूरा हो जाने वाला था।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी पीएम मोदी और नीतीश कुमार की बातचीत के बारे में जानकारी थी। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक पीएम मोदी और नीतीश कुमार के बीच पूरी बातचीत में वित्त मंत्री अरुण जेटली की सक्रिय भागीदारी रही। देर शाम को मोदी और नीतीश कुमार हॉट लाइन पर बात करते थे। 25 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली और सीएम नीतीश कुमार ने एक अज्ञात जगह पर ‘गुप्त बैठक’ की थी।
स्वाभाविक रूप से पीएम मोदी को भी लूप में रखा गया था। सुशील कुमार मोदी भी लगातार अमित शाह के संपर्क में थे। इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली और सीनियर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी लगातार बैठक कर रहे थे। जहां भाजपा ने बिहार के राजनीतिक समीकरणों के बारे में कांग्रेस से जानकारी इकट्ठा कीं। इस पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट मिले। इसके बाद नीतीश ने महागठबंधन को डंप करने का फैसला किया, लेकिन सीएम नीतीश कुमार की यह आश्चर्यजनक फैसला लेने में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मदद की।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। पल-पल बदलते घटनाक्रम में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पर एक बात तय है कि महागठबंधन तोड़ने में भाजपा नेता सुशील मोदी की भूमिका अहम रही। उन्होंने लालू प्रसाद और उनके परिवार पर लगातार हमले किए और रोज नए-नए आरोप लगाए लेकिन एक बात यह भी साफ हो गई है कि नीतीश कुमार की छवि पहले के मुकाबले अब धुमिल हुई है। नीतीश कुमार जनता के सामने अब किस सिद्धांत की दुहाई देंगे।