बालाघाट: ईई ने 200 रुपए में दे दिया नदी के पानी का पट्टा

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। सरकारी अधिकारी सरकारी संपत्तियों को प्राइवेट प्रॉपर्टी की तरह किराए पर दे रहे हैं। यहां एक अजीब मामला सामने आया है। सिंचाई विभाग के ईई ने मात्र 200 रुपए रोज पर चंदन नदी के पानी का पट्टा दे दिया। शासन ने ईई को ऐसे कोई अधिकार नहीं दिए हैं फिर भी लिखापढ़ी हो गई और 2010 से वारासिवनी की चंदन नदी का पानी रमणिक पावर एण्ड एलाईज बालाघाट द्वारा स्थापित किये गये मैगनीज परिशोधन एवं पांवर प्लांट द्वारा मशीनें लगाकर खींचा जा रहा है। बता दें कि मप में नदी एवं अन्य जल स्त्रोतों से जल आवंटन किये जाने की अनुमति के लिये प्रदेश स्तर पर एक कमेटी गठित की गई है जो अनुमति प्रदान करने के लिये प्राधिकृत है। ना तो कंपनी ने इस कमेटी के सामने आवेदन किया और ना ही ईई ने ऐसी कोई सलाह दी। कंपनी और अफसर ने मिलकर सारा खेल रच डाला। 

जिले के तहसील मुख्यालय वारासिवनी से 5 किलोमीटर दूर संरण्डी ग्राम में चंदन नदी के किनारे रमणिक पावर एण्ड एलाईज बालाघाट द्वारा स्थापित किये गये मैगनीज परिशोधन एवं पांवर प्लांट में लगने वाले पानी की आवश्यकता के लिये सिंचाई विभाग द्वारा 4 लाख लीटर, 400 धनमीटर प्रतिदिन नदी से लिये जाने की अनुमति वैनगंगा सिंचाई मण्डल बालाघाट द्वारा प्रदान की गई है। तय किया है कि पानी के बदले 73 हजार रूपये प्रतिवर्ष की दर से इकाई द्वारा भुगतान किया जायेगा। इकाई 11 फरवरी 2010 से 30 वर्षो तक नदी से पानी का उपयोग कर सकेगी।

इस आशय का अनुबंध सिंचाई विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पी सी महाजन एवं रमणिक पावर एण्ड एलाइज प्राइवेट लिमिटेड बालाघाट के डायरेक्टर हर्ष त्रिवेदी के बीच 11 फरवरी 2010 को निष्पादित किया गया है। संयत्र द्वारा जल का उपयोग करने लिये चंदन नदी में कुंए खुदवाये गये है जिनके माध्यम से जल लिया जा रहा है तथा संयंत्र से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को पाईप के द्वारा चंदन नदी में ही प्रवाहित किया जा रहा है।

आसपास के कुएं और पेड़ सूख गए 
चंदन नदी से जल के निरंतर दोहन किये जाने के कारण संयंत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में कुआं और अन्य जलस्त्रोतों में जल स्तर में कमी आ गई है इन क्षेत्रों के पेड पोधों सूखने लगे है तथा जैविक सम्पदा पर प्रतिकुल प्रभाव पड रहा है, संयंत्र से निकलने वाले धुये के कारण आसपास के वातावरण के तापमान में अनपेक्षित वृद्धि हो गई है।

ईई को पॉवर ही नहीं थे, फिर भी परमिशन दे दी 
चंदन नदी से पानी निकलने की अनुमति के संदर्भ में जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता श्री एमजी चौबे बताते हैं कि नदी से जल आवंटन करने के लिये सिंचाई विभाग का कार्यपालन यंत्री प्राधिकृत ही नही है। नदी एवं अन्य जल स्त्रोतों से जल आवंटन किये जाने की अनुमति के लिये प्रदेश स्तर पर एक कमेटी गठित की गई है जो अनुमति प्रदान करने के लिये प्राधिकृत है। इस प्रकार संयंत्र डायरेक्टर एवं तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पीसी महाजन द्वारा निष्पादित किया गया इकरारनामा संदेह के दायरे में प्रतीत होता है।

ना मीटर लगाए ना जांच की
ईई सिंचाई विभाग ने कंपनी को अनुबंध अधिकार देकर फाइल बंद कर दी। ना तो यह पता लगाने के लिए मीटर लगाए गए कि कंपनी प्रतिदिन कितना पानी दोहन कर रही है और ना ही कभी इसकी जांच की गई। शासनहित के नाम पर घपला कर लिया गया। जो लगातार जारी है। 

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