
हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने कहा कि सीएम केजरीवाल को कानून के दायरे में गरिमापूर्ण तरीके से अरुण जेटली के खिलाफ जिरह करनी चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया कि वह जिरह के दौरान केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अपमानजनक सवाल और भाषा का इस्तेमाल न करें। अदालत ने कहा कि हर हाल में गरिमा का ख्याल करना होगा।
इससे पहले, केजरीवाल की ओर से दलील दी गई थी कि उन्होंने सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी को जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए कोई निर्देश नहीं दिया था। जेटली की ओर से अर्जी दाखिल कर मांग की गई है कि मानहानि के केस में उचित और व्यवस्थित तरीके से बयान दर्ज कराए जाएं।
जस्टिस मनमोहन ने केजरीवाल के वकील से कहा है कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि जिरह के दौरान अरुण जेटली से कोई भी अभद्र और अशोभनीय सवाल नहीं करेंगे। केजरीवाल की ओर से बुधवार को सीनियर एडवोकेट अनूप जॉर्ज चौधरी पेश हुए। जेटली के साथ 28 जुलाई को जिरह होनी थी जो अब 28 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान मनमोहन ने कहा कि उन्होंने कभी भी किसी मुकदमे में इस तरह से अशोभनीय और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं सुना। ये गैरजरूरी था। जिरह का ये तरीका नहीं हो सकता। उन्हें अपने पर काबू रखना होगा। इस्तेमाल की गई भाषा अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में नहीं आती। क्या आप जानते हैं कि ये गैर संसदीय शब्द है। जज ने केजरीवाल के वकील से कहा कि वह जिरह के दौरान शिष्टाचार और सदाचार का पालन करें।
पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि उनकी ओर से अपने वकील राम जेठमलानी को ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया था कि वह जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करें।