SBI INSURANCE ने विधवा महिला को परेशान किया, फोरम ने क्लैम दिलाया

नई दिल्ली। बीमा करते समय कंपनियों के अधिकारी बड़ी ही विनम्रता के साथ ललचाने वाले फीचर्स गिनाते हैं परंतु जब क्लैम की बारी आती है तो उपभोक्ता को तंग करना शुरू कर देते हैं। SBI GENERAL INSURANCE ने ऐसा ​ही किया। एक विधवा महिला को बेवजह तंग किया एवं उसके पति को शराबी बताकर क्लैम देने से इंकार कर दिया जबकि किसी भी सरकारी रिपोर्ट में पति की मृत्यु के समय शराब का एक अंश भी दर्ज नहीं हुआ था। एसबीआई की इस धोखाधड़ी के खिलाफ पीड़िता ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली। फोरम ने बैंक एवं कंपनी को क्लैम की रकम अदा करने का आदेश दिया है। शुक्रवार 02 जून 2017 को न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला सुनाया। फोरम ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाख नगरासू को एक माह के भीतर साढ़े चार लाख रुपये पीड़ित को भुगतान के निर्देश दिए है। 
मामला उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग का है। पीड़ित शशि देवी मामले में उपभोक्ता फोरम अदालत में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष हरीश कुमार गोयल ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया। पीड़ित शशि देवी के अनुसार उसके पति स्व. सत्य प्रसाद पुत्र विश्रामदत्त का संयुक्त रूप से एसबीआई नगरासू में बैंक खाता था। यह खाता एसबीआई जनरल इंश्योरेंस की ओर से बीमित था। 

कंपनी द्वारा सत्यप्रसाद के नाम से मास्टर पालिसी व प्रमाणपत्र जारी किया गया था, जिसमें पीड़ित नामित है। पीड़ित के पति की 7 मार्च 2015 को चट्टान से गिरकर मृत्यु हो गई थी, जिसकी सूचना थाना रुद्रप्रयाग को दी गई। मृतक के शव का पोस्टमार्टम किया गया। मृतक की पत्नी की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी कर बीमा क्लेम कर कंपनी को सभी कागजात भेजे गए।

कई बार कंपनी के टोल-फ्री नंबर का कॉल भी की गई, लेकिन कंपनी ने पीड़ित पति की मृत्यु का कारण शराब के सेवन से होने की बात कहकर बीमा राशि देने से इंकार किया गया। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य कागजात में ऐसा कोई जिक्र नहीं है।

अंतत: शशि देवी पत्नी स्व. सत्य प्रसाद ग्राम चिंवाई (शिवानंदी) के मामले में फोरम ने अपना फैसला सुनाते हुए कंपनी को पीड़ित को बीमा की राशि 4 लाख रुपये भुगतान करने को कहा। साथ दो वर्ष का 8 प्रतिशत वार्षिक व्याज की दर से ब्याज सहित आर्थिक व मानसिक क्षति के रूप में 50 हजार रुपये भुगतान के निर्देश दिए। पीड़ित की तरफ से अधिवक्ता राकेश मोहन पंत ने बहस की। इस मौके पर फोरम के सदस्य जीतपाल सिंह कठैत व गीता राणा भी मौजूद थे।

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