मंदसौर में पुलिस ने किसानों लाशों को घसीटा, पैसे निकाल लिए: सिंधिया

इंदौर। शिवराज सिंह का सबसे बड़ा सिरदर्द और कांग्रेस के फायरब्रांड होते जा रहे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र में आ गए हैं। इंदौर में घायल किसानों से मिलने के बाद सिंधिया ने कहा कि मंदसौर में किसानों के साथ पुलिस ने जो कुछ भी किया वो बेरहमीपूर्ण ही नहीं घिनौना भी था। पुलिस ने फायरिंग में घायल और मारे गए किसानों की लाशों को घसीटकर किनारे किया और उनकी जेब में रखे मोबाइल व पैसे निकाल लिए। 

सिंधिया ने इंदौर प्रेस क्लब में कहा, 'उपज के सही दाम और कर्ज माफी की जायज मांगों को लेकर मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस गोलीबारी से पांच लोगों की मौत शिवराज सरकार के माथे का कलंक है। ऐसा लगता है कि सूबे में हिटलरशाही चल रही है। शिवराज सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा, 'यह शर्मनाक है कि दिवंगत किसानों के परिवारों से मंदसौर जाकर मिलने के बजाय शिवराज ने भोपाल में अनशन की नौटंकी की।' 

सिंधिया ने कहा कि दिवंगत किसानों के परिजनों को मोटा मुआवजा देने की आड़ में इंसान की जान की बोली लगाई गई। मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में घायल होने के बाद इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में भर्ती छह आंदोलनकारी किसानों से मुलाकात के बाद सिंधिया ने कहा, 'इन लोगों ने मुझे जो आपबीती सुनाई, उसने मुझे झकझोर कर रख दिया। इनका आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने गोलीबारी के बाद उन्हें घसीट कर सड़क से हटाया और उनकी जेब से पैसे व मोबाइल निकाल लिए।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पुलिस ने करीब 700 आंदोलनकारी किसानों को 'असामाजिक तत्व' बताते हुए उन पर आपराधिक मामले दर्ज कर लिए। आंदोलनकारी किसानों पर गोली चलाने का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारियों पर अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने कहा, 'खाकी वर्दी पहनने वाले पुलिस वालों को खुद को ईश्वर नहीं समझना चाहिये।' सिंधिया ने बीजेपी के इस आरोप को खारिज किया कि कांग्रेस ने सियासी रोटियां सेंकने के लिये सूबे के आंदोलनकारी किसानों को भड़काकर हिंसा की आग को हवा दी। 
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