
अधिकारियों-कर्मचारियों को उम्मीद थी कि एक जुलाई से लागू होने वाले सातवें वेतनमान को लेकर कैबिनेट में वित्त विभाग का प्रस्ताव आएगा, लेकिन किसान आंदोलन के कारण सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में चला गया।
बताया जा रहा है कि साढ़े पांच लाख अधिकारियों-कर्मचारियों का नए सिरे से वेतन तय करने और एक-एक से सहमति लेने में काफी वक्त लगेगा। यही वजह है कि विभाग ने करीब एक माह पहले कैबिनेट को प्रस्ताव भेज दिया था। इसमें वेतन की गणना करने का फॉर्मूला, पेंशन का निर्धारण, महंगाई सहित अन्य भत्तों के प्रस्ताव शामिल हैं।